Headlines
Loading...
यूपी में अब शराब की तरह होंगी तंबाकू, बीड़ी-सिगरेट और गुटखा बेचने की लाइसेंसी दुकानें!

यूपी में अब शराब की तरह होंगी तंबाकू, बीड़ी-सिगरेट और गुटखा बेचने की लाइसेंसी दुकानें!

गाजियाबाद. उत्तर प्रदेश में गुटखा (Gutkha) और तंबाकू उत्पाद (Tobacco Products) बेचने की लाइसेंस पॉलिसी (License Policy) इसी महीने लागू हो सकती है. इस पॉलिसी का ड्राफ्ट शासन के पास है और माना जा रहा है कि यूपी चुनाव से ठीक पहले इसे लागू कर दिया जाएगा. इसके लागू हो जाने के बाद शहरों में तंबाकू उत्पाद बेचने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य हो जाएगा. बता दें कि यूपी के तकरीबन 16 शहरों में तंबाकू , गुटखा और सिगरेट बेचने वालों को लाइसेंस लेना अनिवार्य करने की बात चल रही है. गाजियाबाद में तो पिछले साल अगस्त महीने से ही दुकानदारों को लाइसेंस लेना अनिवार्य किया जाना था, लेकिन लखनऊ से हरी झंडी नहीं मिलने से मामला अटक गया था.

बता दें पिछले साल शासन की तरफ से इस बारे में नोटिफिकेशन जारी किया गया था. खासकर गाजियाबाद, मेरठ सहित उत्तर प्रदेश के 16 शहरों में बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू और गुटखा जैसे उत्पादों को बेचने के लिए दुकानदारों को लाइसेंस लेना अनिवार्य किया गया था. इसके लिए गाजियाबाद नगर निगम ने एक अलग से बायलॉज तैयार किया था. उसी के हिसाब से दुकानदारों को लाइसेंस देने का प्रावधान किया गया था. इस बायलॉज के मुताबिक जिले में दुकानदारों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है.

बता दें कि लखनऊ नगर निगम में यह व्यवस्था पहले से ही लागू है. अब यही व्यवस्था यूपी के दूसरे जिले अलीगढ़, अयोध्या, वृंदावन-मथुरा, वाराणसी, प्रयागराज, झांसी, आगरा, कानपुर, गोरखपुर, सहारनपुर, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर और बरेली में भी लागू किया जाना है.


पिछले साल गाजियाबाद नगर निगम की बैठक में फैसला किया गया था कि जो दुकानदार लाइसेंस नहीं लेगा उसको भारी जुर्माना देना पड़ेगा. खासकर लाइसेंस के बिना कमर्शियल मॉल, थोक बाजार, बिग बाजार, स्पेंसर्स, किराना दुकान, गुमटी आदि पर तंबाकू उत्पादों की बिक्री नहीं होगी. इसके उल्लंघन पर 2000 से लेकर 5000 तक जुर्माना भी लग सकता है. साथ ही दुकान में रखे गुटखा, तंबाकू, बीड़ी और सिगरेट जब्त कर लिए जाएंगे. गाजियाबाद में यह नई व्यवस्था अब नए साल यानी जनवरी के आखिर तक लागू करने की बात हो रही है.

बता दें कि पिछले साल अप्रैल महीने में ही यूपी सरकार की मंशा थी कि यह पॉलिसी लागू कर दी जाए. अब नए साल में एक बार फिर से शासन की तरफ से कहा गया है कि इस पॉलिसी का अवलोकन कर ही लागू करने की अनुमति देंगे. क्योंकि इस साल चुनाव भी है ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार की यह पॉलिसी अगले कुछ महीने के लिए फिर से अटक जाए.