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नई दिल्ली: दूसरी लहर के दौरान बच्चों में संक्रमण की मुख्य वजह बना था डेल्टा वैरिएंट, आइसीएमआर के अध्ययन में हुआ खुलासा।
नई दिल्ली। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के एक अध्ययन के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वैरिएंट बच्चों में कोविड-19 के मामलों में संक्रमण का प्रमुख कारण था। आईसीएमआर के वैज्ञानिकों का कहना है कि मार्च से जून 2021 के बीच 583 कोरोना संक्रमित बच्चों के नमूनों का अध्यन किया गया।
वहीं इस दौरान हर नमूने की जीनोम सीक्वेंसिंग की गई और यह देखा गया कि 0 से 18 साल की उम्र के बच्चों में किस तरह के वायरस ज्यादा पाए गए। इसमें दिल्ली और एनसीआर के अस्पतालों से 16 संक्रमित बच्चों के नमूने लिए गए थे। 512 अनुक्रमों में से 372 वैरिएंट आफ कंसर्न थे जबकि 51 वीओआई यानी के थे।
वहीं आईसीएमआर के अध्ययन में कहा गया है कि इसके बाद डेल्टा, कप्पा, अल्फा और बी.1.36 के क्रमशः 65.82 प्रतिशत, 9.96 प्रतिशत, 6.83 प्रतिशत और 4.68 प्रतिशत लीनेज थे। अध्ययन में आधे से अधिक नमूने पुरुषों के थे। अध्ययन में भाग लेने वालों की औसत (IQR) उम्र 13 वर्ष थी। अध्ययन में आधे से ज्यादा मरीज (51.8 फीसद) 13-19 साल के, 41.2 फीसद तीन से 12 साल के और बाकी सात फीसद तीन साल से कम उम्र के थे।
वहीं रिपोर्ट के मुताबिक 37.2 प्रतिशत रोगियों में लक्षण थे जबकि 14.8 प्रतिशत को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी। कोरोना संक्रमण के 60 प्रतिशत रोगियों में बुखार, 49.3 प्रतिशत में खांसी, 23.4 प्रतिशत में बहती नाक और 12 प्रतिशत बच्चों में गले में खराश जैसे लक्षण थे। बाकी लक्षण 10 प्रतिशत से भी कम रोगियों में देखे गए। चौथा सेरोसर्वे जो 2021 की पहली छमाही के दौरान किए गए थे उसमें लगभग 50 प्रतिशत बच्चों में कोविड-19 के प्रति एंटीबाडी मौजूद थे।