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नई दिल्ली: दस साल के बच्चे ने किया शानदार कमाल, ऐप बनाकर वकीलों का काम किया आसान।
नई दिल्ली। देश में आजकल नई-नई तकनीकों का इजात हो रहा है। कोरोना काल में छोटे-छोटे बच्चे तक तकनीक के सहारे नई चीजें इजात कर रहे हैं। ऐसा ही कमाल तमिलनाडु के वेल्लोर के एक 10 वर्षीय बच्चे ने कर दिखाया है। कशिशकर नाम के इस होनहार बच्चे ने 'ई-अटॉर्नी' नाम से एक ऐप बनाया है, जिससे वकीलों को मुवक्किलों की जानकारी और मामले के विवरण को आसानी से संभालने में मदद मिलेगी। इस ऐप की खासियत यह है कि इसके माध्यम से उपयोगकर्ता साइन इन कर सकते हैं और क्लाइंट दस्तावेज़ जोड़ सकते हैं और मामले से संबंधित अन्य जानकारी को जल्दी से स्टोर कर सकते हैं।
वहीं कशिशकर के पिता जो एक वकील भी हैं, उनकों महामारी के दौरान क्लाइंट विवरण को व्यवस्थित रखने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए, जब युवा लड़के को अपने कोडिंग प्रोजेक्ट के लिए एक कोर्स विषय चुनना था, तो उसने कुछ ऐसा बनाने का फैसला किया जो उसके पिता की मदद करेगा। 'ई-अटॉर्नी' ऐप के माध्यम से उपयोगकर्ता सीधे अपने क्लाइंट से संपर्क कर सकते हैं, जिन्हें एक्सेस दिया जाता है।
वहीं दूसरी तरफ़ कनिष्कर ने बताया कि काम का बोझ बढ़ने के कारण उनके पिता हर रात देर से घर आते थे और जब वह कभी-कभी उनके कार्यालय जाते थे, तो उनके पिता के कनिष्ठों और अन्य वकीलों को दस्तावेजों को तलाशते देखते थे जिससे और देरी होती थी। उन्होंने कहा कि वकीलों को दस्तावेजों को बनाए रखने, साक्ष्य एकत्र करने, क्लाइंट से बात करने और उन्हें तारीखों के बारे में सूचित करने जैसे कई कार्यों को संभालना पड़ता है। इसलिए वह चाहते थे कि उनके पिता अपना काम समय पर पूरा करें और आफिस से जल्दी घर आ पाएं। तभी उनके मन में इस समस्या का समाधान खोजने के लिए एक ऐप बनाने का विचार आया।
वहीं दूसरी तरफ़ कनिष्कर ने बताया कि यह एक छोटी कोडिंग परियोजना के रूप में शुरू हुआ था और बाद में यह एक जुनूनी परियोजना में बदल गया। उन्होंने बताया कि जब कनिष्कर ने बच्चों के लिए एक ऑनलाइन सीखने के मंच व्हाइटहैट जूनियर द्वारा आयोजित एक प्रतियोगिता जीती और ऐप को विकसित करने के लिए छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया। छात्रवृत्ति के पैसे ने कनिष्कर के माता-पिता को 'ई-अटॉर्नी' को एक पूर्ण बाल-संचालित उद्यम में बदलने में मदद की।
वहीं पिता रजनी के. ने कहा कि वह भी अब कुछ हफ्तों से इस ऐप का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने ऐप की तारीफ करते हुए कहा कि इसकी विशेषताएं बहुत उपयोगी हैं। पहले उन्हें ग्राहकों को तारीखों के बारे में सूचित करने के लिए हमेशा जूनियर्स और क्लर्कों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब इस एप्लिकेशन ने उनके काम का बोझ आधा कर दिया है।
बता दें कि कनिष्कर के मेंटर नीलकंठन ने अपने कोडिंग प्रोजेक्ट के साथ कनिष्कर की इस ऐप में मदद की है। उन्होंने कहा कि 'ई-अटॉर्नी' ऐप एक सरल लेकिन शक्तिशाली उपकरण है जिसमें एक बड़ा अंतर लाने की क्षमता है। गौरतलब है कि कनिष्क ने पांच वकीलों के साथ ऐप का परीक्षण करके अपनी उद्यमशीलता की यात्रा शुरू कर दी है।