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यूपी: कानपुर में कारोबारी की पत्नी की मौत का मामलें में सास निशा की जमानत अर्जी हुई खारिज।
कानपुर। आंचल की मौत शादी के सात साल के अंदर संदिग्ध हालात में ससुराल में हुई है। 70 लाख रुपये दहेज दहेज मांगने का आरोप है और मौत से पहले आंचल के साथ क्रूरता किए जाने के भी सुबूत हैं। इस टिप्पणी के साथ जिला जज मयंक कुमार जैन ने आंचल की हत्या की आरोपी सास निशा खरबंदा की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
वहीं डीजीसी दिलीप अवस्थी, शिवाकांत दीक्षित और संजीव कुमार शुक्ला ने अदालत में तर्क रखा कि एंटी मार्टम रिपोर्ट में आंचल की मौत से पहले उसके शरीर पर चोट के निशान मिले थे। आंचल का मरने से पहले का एक पत्र भी मिला था, जिसमें उसने ससुरालियों पर प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ मौत से एक दिन पहले भी पिता से फोन पर बात करते हुए आंचल ने 70 लाख रुपये दहेज के लिए प्रताड़ित करने की बात कही थी। मौत के बाद ससुराल वाले दो साल के बच्चे को घर पर छोड़कर रुपये और जेवरात लेकर फरार हो गए थे। अगले दिन उन्हें लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था।
वहीं गिरफ्तारी के समय उनके पास से रुपये और जेवर बरामद भी हुए थे। निशा की ओर से अधिवक्ता दामोदर मिश्रा ने तर्क रखा कि आंचल के पति सूर्यांश खरबंदा की एस्को एजेंसीज प्राइवेट लिमिटेड और एस्को इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से दो फर्में हैं।
बता दें कि वहीं फाइनेंशियल रिकॉर्ड बताते हैं कि इनका सालाना टर्नओवर लगभग 50 से 60 करोड़ रुपये है। ऐसे में आंचल के पिता पवन ग्रोवर की ओर से दहेज में 70 लाख रुपए न मिलने पर लगाया गया हत्या का आरोप गलत है। दावा किया कि आंचल ने डिप्रेशन के चलते फांसी लगाकर खुदकुशी की।
वहीं निशा गंभीर रूप से बीमार है, उसे जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जिला जज ने अपराध की गंभीरता, पुलिस रिपोर्ट और सुबूतों के आधार पर निशा की जमानत अर्जी खारिज कर दी।