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यूपी: वाराणसी में बेबस महिलाओं की आवाज बन कर रूबी वर्मा ने छोड़ी अपनी नौकरी और गांव-गांव कर रहीं इलाज।

यूपी: वाराणसी में बेबस महिलाओं की आवाज बन कर रूबी वर्मा ने छोड़ी अपनी नौकरी और गांव-गांव कर रहीं इलाज।

                                S.K. Gupta Reporter

वाराणसी। जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए न तो साधन की कमी और न ही संसाधन की, लेकिन आज भी एक बड़ा तबका जागरूकता के अभाव में इन सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पा रहा। इसकी जरूरत के समय खुद को असहाय पा रहा। कुछ ऐसी ही स्थिति से रूबी वर्मा का सामना हुआ जिसने बड़ागांव ब्लाक के नरायनपुर गांव की रहने वाली रूबी वर्मा के दिल को छुआ। उसने लगी लगाई नौकरी त्यागी और गरीब, असहाय और अज्ञानता के अंधेरे में भटक रही महिलाओं की सेवा में खुद को समर्पित कर दिया।

वहीं अब बड़ागांव ब्लाक के गांवों, बनवासी बस्तियों और ईंट-भट्ठों पर महिलाओं और युवतियों का इलाज करने के साथ ही उन्हें साफ-सफाई के साथ ही अन्य मामलों को लेकर जागरूक करती हैं। बात तीन साल पहले की है जब रूबी एएनएम का कोर्स करने के बाद हरहुआ स्थित एक प्राइवेट हास्पिटल के प्रसव वार्ड में काम कर रही थीं। उसी दौरान ईंट भट्ठे पर काम करने वाली एक गरीब महिला वहां प्रसव कराने के पहुंची। 

वहीं दूसरी तरफ़ उसके पास प्रसव कराने के लिए पैसे नहीं थे। रूबी ने हास्पिटल प्रबंधन से बात कर मुफ्त में उसका प्रसव कराया। महिला की दीन-हीन स्थिति देख रूबी का मन विचलित हो उठा। उसने इस तरह की महिलाओं और युवतियों की सेवा करने का मन बनाया। इसे ठान लिया और गांठ बांध लिया, इसके लिए नौकरी तक छोड़ दी।

बता दें कि वहीं उनका जज्बा देख मानवाधिकार जन निगरानी समिति ने सहयोग किया। अब रूबी बड़ागांव ब्लाक के अलग-अलग गांवों में ईंट भट्ठों पर काम करने वाली महिलाओं का इलाज करती हैं और जरूरत अनुसार अस्पताल ले जाती हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ती के साथ मिलकर डब्ल्यूएचओ के मानक अनुसार पोषण मैपिंग कराती हैं। उनके बच्चों और परिवार वालों को खानपान, साफ-सफाई और स्वच्छता के बारे में बताती हैं। 

वहीं दूसरी तरफ़ सरकारी सुविधाओं के बारे में बताती हैं और दिलाती भी हैं। गांव के किशोरियों का समूह बना कर उन्हें साफ-सफाई और स्वच्छता की जानकारी देते हुए महिला सशक्तीकरण का पाठ पढ़ाती हैं। उन्हें बाल विवाह और बाल श्रम के खतरे बताते हुए पढ़ लिख कर आगे बढ़ने के लिए जगाती हैं। 

वहीं रूबी वर्मा अब तक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में 86 महिलाओं का प्रसव करा चुकी हैं। खास यह कि इसमें 15 का गर्भ जोखिम भरा था। वहीं एचआरपी दिवस पर प्रत्येक माह की नौ तारीख को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ागांव में अपनी ओर से स्टाल लगाकर स्वास्थ्य एवं पोषण परामर्श देती हैं।