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यूपी: वाराणसी विकास प्राधिकरण के नियम में हुआ बदलाव, जितने क्षेत्र में फायर का कारोबार उतने क्षेत्र में लगाएं फायर ब्रिगेड के उपकरण।

यूपी: वाराणसी विकास प्राधिकरण के नियम में हुआ बदलाव, जितने क्षेत्र में फायर का कारोबार उतने क्षेत्र में लगाएं फायर ब्रिगेड के उपकरण।


वाराणसी। व्यावसायिक और आवासीय भवनों में सुरक्षा या रोजगार करने के लिए पूरे भवन में फायर ब्रिगेड के उपकरण लगाना जरूरी नहीं है। जितने क्षेत्र में कारोबार करना है उतने क्षेत्र में मालिक या किराएदार फायर ब्रिगेड के उपकरण लगाकर प्रमाण पत्र ले सकता है। 15 मीटर से कम ऊंचाई वाले भवनों में अब जमीन में 75 हजार लीटर पानी टैंक बनाने की बाध्यता नहीं होगी। 
वहीं छत के ऊपर 25 हजार लीटर के टैंक पर्याप्त है। विकास प्राधिकरण के नियम अब फायर ब्रिगेड पर लागू नहीं होंगे। दोनों के मानक में भी बदलाव किए गए हैं जिससे भवन स्वामी को फायर ब्रिगेड के उपकरण लगाने में आसानी और विकट परिस्थितयों में जानमाल हानि से लोगों को बचाया जा सके। 30 जून 2022 तक बने भवनों में इस व्यवस्था की छूट मिलेगी। इसके बाद यह आदेश पूर्ववत लागू हो जाएंगे।

वहीं दूसरी तरफ़ बहुमंजिली भवनों में आग लगने पर कई लोगों की जान जाने के साथ घायल हो चुके हैं। कुछ लोग जान बूझकर भवन में फायर ब्रिगेड के उपकरण नहीं लगाते हैं, कुछ विभाग के शर्तों को पूरा नहीं कर पाते हैं। नियम ऐेसे हैं कि सभी भवनों में मानक को पूरा नहीं किया जा सकता है। 15 मीटर की ऊंचाई तक बने भवन में जमीन में 75 हजार लीटर के टैंक बनाने की बाध्यता थी उसे विभाग ने खत्म कर दिया है। 

वहीं ज्यादातर भवनों में 75 हजार लीटर के टैंक बनाने के लिए जमीन नहीं होता है। टैंक परिसर से बाहर नहीं होना चाहिए। इसके चलते कई फाइलें कार्यालय तक लंबित रह जाती थी। अधिकारी भी चाहकर कुछ नहीं कर पाते थे। नियम में शिथिलता करते हुए विभाग ने कई बदलाव किए हैं।

वहीं भवन स्वामियों की समस्या को देखते हुए डीजी फायर सर्विस ने लखनऊ, गाैतम बुद्ध नगर, अलीगढ़ और बनारस के मुख्य शमन अधिकारी की संयुक्त टीम गठित करते हुए विकल्प निकालने का निर्देश दिया था। टीम ने स्थलीय निरीक्षण में पाया कि 15 मीटर की ऊंचाई तक के भवन में 75 हजार लीटर टैंक की बाध्यता उचित नहीं है, क्योंकि उतनी जमीन भवन स्वामी के पास नहीं होती है। ऐसे में टैंक छत पर भी बनाया जा सकता है।

वहीं भवनों के हिसाब से नौ से 22 मीटर तक सड़क चौड़ी होनी चाहिए। सर्वे में टीम ने पाया कि भवन में आग लगने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियों के पहुंचने के लिए छह मीटर चौड़ी सड़क पर्याप्त है। शेट बैक से विभाग को कोई लेना-देना नहीं है। वीडीए अपने मानक पूरे कराए।

बता दें कि वहीं भवनों में पहले सीढ़ी की चौढ़ाई अधिक थी। मगर, आवासीय भवनों में एक मीटर सीढ़ी चौड़ी जरूरी है। ग्रुप हाउसिंग में डेढ़ मीटर चौड़ी और तीन मंजिल से अधिक ऊंचें भवनों में भी डेढ़ मीटर चौड़ी सीढ़ी होनी चाहिए। बशर्ते, सीढ़ी खुली होनी चाहिए और धुआं निकलने के लिए पर्याप्त संसाधन, जैसे एग्जास्ट फैन जिससे धुआं आसनी से निकल सके। उस भवन में रहने वाले लोग आपातकालीन में भाग सके और धुआं उनके लिए बाधक नहीं हो। इतना ही नहीं, बाहर खुलने वाली सीढ़ी की चौड़ाई डेढ़ मीटर से घटाकर 1.2 मीटर कर दी गई है।

वहीं फायर ब्रिगेड के उपकरण लगने के साथ उसमें धुआं होने पर एलार्न बजने लगता है। पहले अंदर के साथ बाहर भी इसे लगाने की बाध्यता थी, अब उसे खत्म कर दिया गया है। सड़क पर कोई व्यक्ति नशा करता है तो उसके चलते भी लगे एलार्न बजने लगते हैं, इसको देखते हुए बाहर एलार्न की बाध्यता खत्म कर दी गई है।

बता दें कि वहीं अनिमेष सिंह, मुख्य शमन अधिकारी ने बताया कि भवन स्वामियों की सुविधा को देखते हुए फायर ब्रिगेड के उपकरण लगाने और प्रमाण पत्र देने में कई बदलाव किए गए हैं। जितने क्षेत्र में व्यावसाय करेंगे उतने क्षेत्र में उपकरण लगाकर प्रमाण पत्र लिया जा सकता है। पूरे भवन को लेकर अधिक बजट होने या मकान मालिक व किराएदार को लेकर विवाद होता है।