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यूपी: भाजपा और अपना दल एस के गठबंधन में फंसी वाराणसी के सेवापुरी विधानसभा सीट की दावेदारी।
वाराणसी। भारत के लोकतंत्र का छह दशक के चुनावी सफर पर प्रकाश डालें तो वाराणसी की धरती पर लोकबंधु राजनारायण ने समाजवाद की नींव रखी। वह क्षेत्र सेवापुरी विधानसभा सीट की रही है। तब यह गंगापुर विधानसभा क्षेत्र के नाम से जानी जाती रही है। इसमें पड़ोसी जिला भदोही के औराई विधानसभा क्षेत्र का आंशिक हिस्सा भी था लेकिन वर्ष 2012 में हुए परिसीमन के बाद गंगापुर और आंशिक औराई को मिला कर सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र के रूप में नया नामकरण हुआ।
वहीं विस क्षेत्र इन दिनों दावेदारी के लिए हाट सीट बन गया है। यहां पर सीटिंग विधायक अपना दल एस के हैं जो भाजपा की सहयोगी पार्टी है लेकिन इस बार भाजपा के कई दिग्गज भी इस सीट पर दावेदारी कर रहे हैं। जातिगत समीकरण का आंकड़ा लेकर विजयश्री मिलने का दावा कर रहे हैं। इसके लिए वाराणसी से लेकर सिर्फ लखनऊ तक ही नहीं बल्कि दिल्ली तक की दौड़ लग रही है।
वहीं इस बार भाजपा किसान मोर्चा के नेता रहे अजय मुन्ना, चिकित्सक डा. अशोक राय, पूर्व कमिश्नर अशोक सिंह, सुजीत सिंह आदि के नाम उछल रहे हैं तो अपना दल से अद एस के चिकित्सा मंच प्रदेश उपाध्यक्ष डा. शिवपूजन सिंह पटेल भी दावेदारी कर रहे हैं। इस सीट पर निवर्तमान विधायक अद एस के नीलरतन पटेल उर्फ नीलू हैं। वर्ष 2012 में आकार लेने वाली इस नई विधानसभा सीट पर हुए पहले चुनाव में समाजवादी विचारधारा की जीत की परंपरा जीवित रही। सपा के सुरेंद्र सिंह पटेल ने अपना दल के नीलरतन पटेल नीलू को हराया था।
वहीं दूसरी तरफ़ सपा के सुरेंद्र सिंह पटेल को 56849 वोट मिले, वहीं अपना दल के नील रतन पटेल नीलू को 36942 मत। खास बात यह कि इन छह दशक में महज दो मौके ऐसे आए जब भगवा ब्रिगेड को परचम लहराने का मौका मिला। अन्य 16 चुनावों में समाजवादी, कांग्रेस और वामपंथ की ही जीत हुई। वर्ष 1017 में अपना दल से गठबंधन के बाद पहली बार यह सीट साझा तौर पर भाजपा के साथ जुड़ी है। अपना दल के नीलरतन पटेल नीलू ने जीत हासिल की। सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या करीब दो लाख 86 हजार 384 है। इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या करीब एक लाख 58 हजार 643 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या एक लाख 27 हजार 736 बताई जाती है।