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यूपी: वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर में गर्भगृह तक जाने के लिए श्रद्धालु पहनेंगे कागज की चप्पलें।
वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम में नंगे पैर दर्शन करने में श्रद्धालुओं को हो रही परेशानी को देखते हुए खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने एक अच्छी पहल शुरू की है। खादी ने कागज से बने हैंडमेड चप्पल को शुक्रवार को बाजार में उतारा है।
वहीं इसका उद्घाटन श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक श्रीकांत मिश्रा ने लक्सा स्थित खादी इंडिया स्टोर के काशी हस्तकला प्रतिष्ठान में किया। खादी और ग्रामोद्योग आयोग के निदेशक डीएस भाटी ने बताया कि यह चप्पल देखने में खूबसूरत है।
वहीं खादी ने इसे कागज से तैयार किया है। चप्पल के तलवे में मोटे दफ्ती का इस्तेमाल किया गया है। चप्पल में लगी बद्धि भी कागज का है। बात इसके टिकाऊपन की करें तो पानी से अगर इसे बचाया जाए तो यह चार महीने तक चलेगा। इसका इस्तेमाल लोग घर में भी पूजा पाठ में कर सकेंगे। वहीं जो भी श्रद्धालु बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ का दर्शन करने आएंगे अब उनको नंगे पांव नहीं जाना पड़ेगा।
वहीं इसकी कीमत मात्र 50 रुपये है। उद्घाटन सत्र में ऑनलाइन जुड़े खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष विनय सक्सेना ने कहा कि मकर संक्रांति के पर्व पर खादी ने श्रद्धालुओं, सेवादारों और सुरक्षाकर्मियों के लिए विशेष कागज का चप्पल बाजार में उतारा है। इससे खादी से जुड़े लोगों को रोजगार का एक और माध्यम मिलेगा। इससे खादी से लोग और विस्तार से जुड़ेंगे। इस दौरान काशी हस्तकला केंद्र के सचिव धनंजय सिंह, भागवत यादव, रेशमा बानो, अभय श्रीवास्तव, अनूप कुमार सिंह, दिनेश सिंह, केपी मिश्रा, ओमप्रकाश सिंह खादी ग्रामोद्योग के कई अधिकारी और कर्मचारी थे।
वहीं यूज एंड थ्रो वाले यह चप्पल मंदिर परिसर में काम करने वाले कर्मचारी और दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे मंदिर परिसर की शुचिता और सफाई व्यवस्था भी बेहतर होगी व बाहर से चप्पल जूता पहनकर मंदिर परिसर में लोग नहीं आ सकेंगे। यह चप्पलें मंदिर परिसर में खादी की दुकान पर उपलब्ध होंगी।
वहीं दूसरी तरफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ मंदिर के कर्मचारियों के लिए जूट से बनी सौ चप्पलें भेजी हैं। प्रधानमंत्री को यह जानकारी मिली थी कि वहां काम करने वाले लोगों को नंगे पैर संगमरमर पर खड़े होना पड़ता है। भीषण ठंड के कारण सेवादारों और कर्मचारियों के साथ ही यहां तैनात सुरक्षाकर्मियों को परेशानी होती है।
वहीं इसी को देखते हुए जूट के जूते पीएम मोदी ने भेजे थे। मंत्रालय ने कहा कि ये चप्पलें पर्यावरणानुकूल हैं और कम कीमत पर उपलब्ध होंगी। मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि कर्मचारियों को जूट की चप्पलों का वितरण किया गया है। कागज की चप्पल आने के बाद श्रद्धालुओं को भी सहूलियत होगी।