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यूपी: विधानसभा चुनाव को लेकर वाराणसी में चाय की अड़ियों पर खूब जुड़ रही सियासी कड़ियां।
वाराणसी। भोर की धुंध की चादर में लिपटा नगर का गिरजाघर चौराहा अपने टी स्टाल के पथरीले प्लेटफार्म पर खलर (औषधि पीसने वाला पात्र) में तुलसी की हरी पत्तियां व अदरक कूटने में व्यस्त चाय खाने के मलिकार भैरव चच्चा। सामने भट्ठी पर तुलसी -अदरक के इंतजार में उफनती गुलाबी चाय का लीकर। इधर अड़ी के पश्चिमी कोने पर लगभग आधे घंटे से बज रहा आनंद भैया (आनंद प्रजापति) का नान स्टाप स्पीकर।
वहीं गुरु आज उस चतुर बिलार की कथा सुना रहे हैं जो दुम कटे मुर्गे को मुफ्त में पूंछ देने की पेशकश के साथ बहला-फुसला रही है। उधर जान पर आन पड़े खतरे को भांप चुके मुर्गे बेचारे की जान निकली जा रही है। बेबस मुर्गा बकस द बिलार, मुर्गा बांड़े (दुमकटा) होके रहिहें कहकर किसी तरह जान बचाता है। प्रलोभनों के चक्रव्यूह को तोड़कर मिले मौके का फायदा उठाकर घटनास्थल से फूट जाता है।
वहीं आनंद बाबू कथा के उपसंहार तक पहुंचने के बाद जोर का ठहाका लगाते हैं। राजनीतिक दलों की ओर से लगातार जारी मुफ्तखोरी वाली घोषणाओं की जमकर धज्जियां उड़ाते हैं। कहते हैं- 'नेता लोग पहिले ई बतावें कि ई मुफ्त क माल कहां से आई। आखिरकार त बेचारे करदाता क जेबवे कटाई...।' आनंद प्रजापति की बात को अपनी गुरु-गंभीर आवाज में दम देते हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ राजेश पांडेय कहते हैं- 'नेता-परेता लोग पहिले ई बतावें कि एतना हराम क बिजली कहां केहू पाई...? हालात ह दिगम्बर क त आपे बतावा कि नंगा का निचोड़ी का नहाई...?' कहते हैं झंडा-टोपी वाले लोग गफलत में हउवन। काहें कि ई मुफ्तखोरी कउनो काम न आई। एदवां त जनता काम देख के ईवीएम क बटन दबाई।
वहीं दूसरी तरफ़ लंबी बहसबाजी के बाद इस अड़ी पर पकी विचारों की खिचड़ी को विचारसार का तड़का खुद लगाते हुए भैरव चच्चा कहते हैं- 'काशी क मनई त बस अन्नपूर्णेश्वरी के दाता मानेला। तन से प्राण भलहीं छूट जाए, केहू से खैरात नाही मांगेला...।' अड़ी के गुरु बृहस्पति मनोज श्रीवास्तव स्वीकार करते हैं कि ढेर सारी कमजोरियों के क्रम में यह सही है कि जनता अपने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से थोड़ी खफा है।
वहीं फिर भी शहर में हुए विकास के काम को लेकर लोगों के मन में उनके लिए वफा ही वफा है। वोट तो काम पर ही जाएगा। काम की बात चली तो गोरक्षपीठ का बाबा जरूर याद आएगा। भाई राजीव वर्धन नौकरशाही पर थोड़ी सी कसी हुई लगाम लगाने की बात उठाते हैं। साथ में टैक्स का रोना रोने वाले को आमदनी पर एक निगाह डाल लेने की सलाह देते जाते हैं।
वहीं इस बीच यहां के वरिष्ठ अड़ीबाज विजय गौड़ व विनय भइया, अड़ी के सपा प्रवक्ता गंगा यादव की गैरहाजिरी पर आश्चर्य जताते हैं। राजेश गुरु उनकी अनुपस्थिति का संभावित कारण चटखारे ले-लेकर बताते हैं। उनकी मानें तो 'गंगा भइया कई मुद्दों को लेकर सरकार से खार खाए हुए हैं। लेटेस्ट नाराजगी यह कि एक साजिश के तहत कुछ भाजपाई विश्वनाथ धाम के प्रसाद में भी हस्तलाघव दिखा गए। हाजमा देखिए कारसाजों का की आम जनता के साथ गंगा भइया का प्रसाद भी पचा गए।