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यूपी: चंदौली शिकारगंज में राजकीय पशु चिकित्सालय बदहाल हालत में कैसे हो बेजुबानों का इलाज।
चंदौली। शिकारगंज स्थानीय कस्बा का राजकीय पशु चिकित्सालय देखरेख के अभाव में बदहाल हो गया है। यहां न तो चिकित्सक के बैठने का इंतजाम है और न ही पशुओं के इलाज का। इससे पशुपालकों को परेशानी उठानी पड़ रही है। ग्रामीण अस्पताल की बदहाली को लेकर जिला प्रशासन व जन प्रतिनिधियों को अवगत करा चुके हैं। लाखों रुपये खर्च कर वर्षों पूर्व पशुपालन विभाग ने यहां राजकीय पशु चिकित्सालयका निर्माण कराया।
बता दें कि पशुपालकों में उस दौरान पशुओं के समुचित इलाज की उम्मीद जगी थी। समय बीतने के साथ ही चिकित्सालय का हाल खस्ताहाल हो गया। दशा यह कि चिकित्सालय अपनी उपयोगिता खो रहा है। भवन खंडहर में तब्दील होने के कगार पर है। चहारदीवारी ध्वस्त होने से शाम ढलते ही परिसर अराजकतत्वों का अड्डा बन जाता है। परिसर में चिकित्सक व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए बने आवासीय भवन भी खंडहर में तब्दील हो गए हैं।
वहीं पशुपालक पप्पू तिवारी, सच्चिदानंद दुबे, राधेश्याम तिवारी, रामबहादुर यादव, संतराम पाल, जगदीश सिंह ने कहा, पशु चिकित्सक अस्पताल में कभी नहीं आते हैं। अस्पताल की मरम्मत के साथ ही चिकित्सक व कर्मियों की नियमित उपस्थिति से बीमार पशुओं को इलाज आसानी से हो सकेगा। जिलाधिकारी को इस अस्पताल की सुधि लेनी चाहिए।
वहीं दूसरी तरफ़ राजकीय चिकित्सालय शिकारगंज में नियुक्त पशु चिकित्सक आरपी भारती के पास चकिया पशु चिकित्सालय का भी चार्ज है। ऐसे में वे पूरे सप्ताह वहीं समय देते हैं। चिकित्सालय पंडी, अमरा, नेवाजगंज, बोदलपुर, फिरोजपुर, बलिया, मुड़हुआ, कुशहीं, गायघाट, भंगड़ा सहित क्षेत्र के ढाई दर्जन से अधिक गांवों के पशुपालकों के लिए संजीवनी का कार्य करता था।
वहीं दूसरी तरफ़ देखरेख के अभाव व विभागीय लापरवाही के चलते भवन जीर्ण-शीर्ण हो गया है। इसके चलते बीमार पशुओं का इलाज नीम हकीमों से कराना मजबूरी बन गई है। पशु के गंभीर रूप से बीमार होने की दशा में 15 किमी दूर स्थित चकिया ले जाना पड़ता है।