![यूपी: वाराणसी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्रावास में सैकड़ों छात्रों का हुआ अवैध कब्जा।](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj57nGePyCX4yyVSqY9KoTvmNTqFmmvhcNR5Xeemxetnxw0EkRZ67Zg8_f4ZfBvGuoIqc1SoiycaZJqiVC9Wr71kExA9_O-QB_QSYK1D0jppNtM0OSAZ9Di1nbch-gqNazdEdWq7x29y5I/w700/1643457881342256-0.png)
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यूपी: वाराणसी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्रावास में सैकड़ों छात्रों का हुआ अवैध कब्जा।
वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्रावासों में सैकड़ों छात्र अवैध रूप से रह रहे हैं। इन छात्रों को सत्र-2020-21 में छात्रावास आवंटित किया गया था। इसके बावजूद अब तक छात्रावास खाली नहीं किए हैं। इसके चलते वर्तमान सत्र के छात्रों को छात्रावास आवंटित प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी।
वहीं विद्यापीठ परिसर में चार छात्रावास हैं। डा. संपूर्णानंद शोध छात्रावास पिछले एक दशक बंद चल रहा है। वहीं जेके महिला छात्रावास के 42 कक्ष, आचार्य नरेंद्र देव छात्रावास के 132 कक्ष तथा लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास के 68 कक्ष छात्र-छात्राओं को आवंटित किए जाते हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ वर्तमान सत्र में दाखिला पूरा होने के बाद छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रावास आवंटन के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। इसे देखते हुए चीफ वार्डेन ने जेके महिला छात्रावास के सभी कमरे छात्राओं को आवंटित कर दिया। महिला छात्रावास में मेस का संचालन भी शुरू करा दिया है।
वहीं अब तक लाल बहादुर व आचार्य नरेंद्र देव छात्रावास 175 छात्रों को ही आवंटित किया जा सका है। दोनों छात्रावासों के करीब 70 से अधिक कमरों में सैकड़ों छात्र अब अवैध रूप से रह रहे हैं। ऐसे छात्रों ने नवीकरण कराने के लिए कोई आवेदन भी नहीं किया है।
वहीं इसे देखते हुए चीफ वार्डेन ऐसे छात्रों को कई बार छात्रावास खाली प्रो. करने की नोटिस दे चुके हैं। इसके बाद भी कमरे में अपना ताला चढ़ा कर तमाम छात्र गायब है। इसे देखते हुए चीफ वार्डेन प्रो. राजेश कुमार मिश्र ने चीफ प्राक्टर प्रो. निरंजन सहाय ने अवैध रूप से रह रहे छात्रों से छात्रावास खाली कराने के लिए पत्र लिखा है ताकि सत्र 2021-22 के छात्रों को छात्रावास आवंटित किया जा सके।
वहीं कोरोना महामारी के चलते संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों को दो वर्ष से छात्रावास आवंटन नहीं कर रहा है। इसके बावजूद तमाम छात्र अब भी अवैध रूप से छात्रावासों में रह रहे हैं। जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन इन छात्रों को मात्र परीक्षा के दाैरान रहने की अनुमति दी थी।