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यूपी: शिव की नगरी वाराणसी में माघ मास में वेद व्यास दरबार में श्रद्धा की बही फुहार।
वाराणसी। शिव की नगरी काशी की सीमा पर चंदौली के साहूपुरी में स्थित वेद व्यास के दरबार माघ मास में श्रद्धा की फुहार से भीग रहा है। इस पौराणिक मंदिर में माघ पर्यंत पूजन- अर्चन का विधान है। श्रद्धालु पूरे मास यहां आते हैं। दर्शन पूजन के साथ ही भोग - पकवान बना कर प्रभु को अर्पित करते हैं। साथ ही नाते रिश्तेदारों, दोस्तों मित्रों संग पंगत में बैठ कर प्रसाद पाते हैं। वास्तव में महर्षि वेद व्यास जब नैमिषारण्य से देवाधिदेव महादेव बाबा श्री विश्वनाथ की नगरी काशी आए तो उन्हें समुचित मान सम्मान नहीं मिला।
वहीं इससे व्यथित हो कर उन्होंने नई काशी बसाने का निर्णय लिया। देव ऋषियों ने इसे समानांतर सत्ता का प्रयास माना। इसे लेकर मान मनौव्वल का दौर चला। अंततः तय किया गया गया कि काशी में हिंदी मास के बारह मास भगवान भोलेनाथ के होंगे। माघ मास वेद व्यास को समर्पित होगा। इस मास में उनका दर्शन पूजन किए बिना 11 मास का पुण्य फल नहीं मिल पाएगा।
वहीं इसके बाद वेद व्यास ने यहां ही भगवान गणेश को साक्षी मान कर पुराणों की रचना की। इस परंपरा का मान रखते हुए माघ में श्रद्धालु परंपरानुसार भगवान वेद व्यास का दर्शन पूजन करने जाते हैं। वहां परिवारीजनों के साथ बाटी चोखा खीर आदि पकवान बनाते हैं। उसे प्रभु को समर्पित कर खुद भी खाते हैं।
वहीं हालांकि, समय के साथ बहुत कुछ बदल चुका है लोग अब चूड़ा-मटर, हलुआ, मगदल आदि लेकर भी जाते हैं और अर्पित कर खाते-खिलाते हैं। स्कंद पुराण के काशी खंड में उल्लेखित इस मान विधान के तहत काशी प्रदक्षिणा यात्रा समिति की ओर से हर साल माघ शुक्ल पक्ष के पहले रविवार को काशी से व्यास काशी तक यात्रा निकाली जाती है। दर्शन पूजन के साथ ही भंडारा किया जाता है। वेद व्यास को भोग समर्पित कर प्रसाद खिलाया जाता है।