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यूपी: वाराणसी संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अब घर बैठे ही कर सकेगें अंकपत्रों का सत्यापन।
वाराणसी। तकनीकी के दौर को देखते हुए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय भी डिजिटल प्लेटफार्म को और समृद्ध करने का निर्णय लिया है। इसके तहत प्रथम चरण में परीक्षा, संबद्धता व पुस्तकालय को पूरी तरह डिजिटल बनाने की तैयारी है। ऐसे में आने वाले समय में अंकपत्रों के सत्यापन के लिए विश्वविद्यालय की दौड़ नहीं लगानी होगी। घर बैठे अंकपत्रों का सत्यापन किया जा सकता है। इस प्रकार आनलाइन व्यवस्था के माध्यम से विश्वविद्यालय फर्जीवाड़े का दाग भी मिटाने में जुटा हुआ है।
वहीं दूसरी तरफ़ परिसर स्थित योग साधना केंद्र के संवाद कक्षा में रविवार को आयोजित पत्रकारवार्ता में यह जानकारी कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने दी। उन्होंने बताया कि परीक्षा पवित्रता बनाए रखने के लिए कई उठाए जा रहे हैं। इसके तहत सभी व्यवस्थाएं आनलाइन की जा रही है। यही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने के लिए प्राच्य विद्या को भी डिजिटल प्लेटफार्म पर करने का प्रयास जारी है। इस क्रम में संकायाध्यक्षों, विभागाध्यक्षों व कार्यालय, अधिक्षकों को डेस्कटाप देने का निर्णय लिया गया है।
वहीं डेढ़ करोड़ रुपये से डेस्कटाप, परिसर में वाई-फाई की सुविधा के लिए नेटवर्किंग व सीसी कैमरे लगाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। इसी प्रकार शिक्षा संकाय भवन, बहुउद्देश्यीय हाल सहित अन्य भवनों के निर्माण के लिए शासन को 127 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है। कहा कि सूबे 1100 माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति के लिए हाल में ही दो दो विशेषज्ञ दिए गए थे। सभी विद्यालयों में संविदा पर शिक्षकों की नियुक्ति की जा चुकी है। ऐसे में माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की कमी अब दूर हो गई है।
वहीं संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में जल्द ही पांडुलिपि संरक्षण केंद्र खोलने का निर्णय लिया गया है। दुर्लभ पांडुलिपियों को संरक्षित करने के लिए करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने सेंटर आफ एक्सीलेंस शासन को पांच करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा है। इसके तहत दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण के साथ साथ प्रकाशन का प्रस्ताव का भी प्रस्ताव शामिल है।
वहीं दूसरी तरफ़ विश्वविद्यालय के सरस्वती भवन पुस्तकालय में एक लाख 11 हजार 132 पांडुलिपियां संरक्षित है। वहीं पांडुलिपियों के संरक्षण में आर्थिक संसाधन रोड़ा बना हुआ है। हालांकि इंफोसिस फाउंडेशन नामक संस्था ने पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए 50 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की है।
वहीं दूसरी ओर यही नहीं संस्था ने पांडुलिपियों के संरक्षण का दायित्व दिल्ली की संस्कृत प्रमोशन फाउंडेशन एसपीएफ को सौंपी है। एसपीएफ पांडुलिपियों के संरक्षण के कार्य में जुटी भी हुई है। कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए 50 लाख का बजट कम पड़ रहा है। इसे देखते हुए संरक्षण व प्रकाशन के लिए उच्च शिक्षा सचिव को पांच करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है।