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यूपी: वाराणसी में खेती योग्य ढलान भूमि की मिट्टी बचाएगा कयर भूवस्त्र।
वाराणसी। जल, थल व नभ की बिगड़ती दशा को देखते हुए बड़े पैमाने पर केंद्र के एमएसएमई मंत्रालय द्वारा पर्यावरणीय अनुकूल सामानों के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। इसी क्रम में कयर बोर्ड ने बनारस में पहली बार नारियल के रेशे से तैयार दर्जनों उत्पाद उतारे हैं। ये उत्पाद जहां इको फ्रेंडली हैं।
वहीं सबकुछ ठीक रहा तो इसी साल पूर्वांचल में हजारों लोगों को रोजगार से जोड़ने की तैयारी है। फिलहाल एक उत्पाद कयर भूवस्त्र है जो बारिश के चलते ढलान भूमि की मिट्टी बचाने में सक्षम है। इसके माध्यम से फसल उत्पादन करने में किसानों के लिए मददगार भी है।
वहीं आजादी का अमृत महोत्सव अंतर्गत बोर्ड ने कयर का उपयोग करो प्रकृति को बचाओ के नारे के क्रम में केरल, तमिलनाडु और ओडिशा से काशी को जोड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। इसीलिए भेलूपुर स्थित बोर्ड के कयर शोरूम में हाथों से बने दर्जनों उत्पादों के जरिए सबसे पहले ग्राहकों को जागरूक किया जा रहा है।
वहीं इसके बाद बड़े स्तर पर बाजार और रोजगार के अवसर तैयार किए जाएंगे। बाजार में पहुंच बनाने के लिए ही एक सप्ताह के मेले का आयोजन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने नारियल के रेशे से तैयार आकर्षक उत्पादों को पसंद किया है। इससे विभागी अधिकारी भी उत्साहित हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ विश्व बाजार में भारत का दबदबा होने के साथ कयर और कयर उत्पाद के जरिए हर साल 400 करोड़ रुपये का विदेशी मुद्रा अर्जित करता है। बोर्ड इस उत्पाद के जरिए उत्तर भारत विशेषकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संदसीय क्षेत्र बनारस को केंद्रित करके रोजगार और राजस्व बढ़ाने पर बल दे रहा है।
वहीं कयर मैटिंग या तकिया समेत रजाई ही नहीं नारियल के रेशे से तैयार महिलाओं के लिए इको फ्रेंडली आभूषण भी तैयार किए गए हैं। गमले के साथ उर्वरक भी बनाया जा रहा है। इसका उपयोग कृषि-बागवानी के उपयोग के लिए किया जा रहा है। नारियल रेशे के दर्जनों हैंडी क्राफ्ट बनारस के बाजार में स्थान बनाने में कामयाब हो रहा है।
वहीं दूसरी तरफ़ जेके शुक्ल, सीनियर जोनल डायरेक्टर, कयर बोर्ड ने बताया कि देश के दक्षिणी प्रांतों से नारियल के रेशे से तैयार उत्पाद भेजा जा रहा है। यह पूर्णत: पर्यावरणीय अनुकूल है। रोजगार और रास्जव बढा़ने की दृष्टि से ऐसे उत्पादों को बनारस और अन्य क्षेत्रों के बाजारों में उतारा जा रहा है।