Headlines
Loading...
यूपी: मऊ का मधुबन विधानसभा सीट जनता के पलकों पर रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी।

यूपी: मऊ का मधुबन विधानसभा सीट जनता के पलकों पर रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी।


मऊ। आजादी की लड़ाई में अतुलनीय योगदान वाले मधुबन क्षेत्र में भारत छोड़ो आंदोलन के समय ही 1942 में आजादी के दीवानों ने थाने पर तिरंगा लहरा दिया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही नत्थुपुर विधानसभा के नाम से सबसे पहले इसी विधानसभा क्षेत्र को बनाया गया, जिसका नाम बाद में मधुबन विधानसभा कर दिया गया। आजादी के बाद से अब तक विधानसभा चुनाव में मधुबन की जनता ने कई चुनावों तक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को ही अपनी पलकों पर बिठाए रखा।

वहीं मऊ जिले के उत्तरी छोर पर घाघरा नदी के तटवर्ती क्षेत्र व गोरखपुर, देवरिया, बलिया तथा आजमगढ़ से घिरे मधुबन विधानसभा क्षेत्र के अधिकांश हिस्सा देवरांचल है। हर वर्ष बरसात के दिनों में बाढ़ तो गर्मी के दिनों में आग यहां फसलों की तबाही का कारण बनती है। घाघरा नदी की कटान भी बदलते वक्त के साथ यहां के कुछ गांवों के लिए बहुत बड़ी विभीषिका बनकर सामने आई है। 

वहीं कटान पीड़तों को महीनों और सालों खानाबदोश का जीवन व्यतीत करना पड़ता है। कभी उन्हें शरणार्थी शिविरों में तो कभी प्लास्टिक का परदा डालकर जिंदगी की गाड़ी चलानी पड़ती है। कभी शार्ट-सर्किट तो कभी किसी की गलती से हजारों एकड़ पक कर तैयार गेहूं की फसल जलकर राख हो जाती है। 

वहीं दूसरी तरफ़ स्थानीय विधानसभा मुख्यालय पर फायर स्टेशन तो बनवा दिया गया है, लेकिन अगलगी की घटनाओं को रोक पापना मुश्किल है। बाढ़ की बात करें तो अपनी झुग्गी-झोपड़ी डालकर रहने वाले लोगों को हर बरसात के मौसम में अपना आशियाना अपने ही हाथों से उजाड़ना पड़ता है।

वहीं दूसरी तरफ़ क्रांतिकारियों की धरती मानी जाने वाली इस विधानसभा ने 1942 में ब्रिटिश हुकूमत की चूलें हिलाकर रख दी थी। आंदोलन में यहां के तमाम क्रांतिकारियों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। यहां के लोगों ने जनप्रतिनिधि के रूप में पांच बार स्वतंत्रता सेनानियों को चुनकर प्रदेश की पंचायत में भेजा। स्वतंत्रता के बाद पहली विधानसभा गठन में स्वतंत्रता सेनानी राम सुंदर पांडेय सन 1952 से लेकर 1962 तक विधायक रहे। 

वहीं स्वतंत्रा संग्राम सेनानी मंगल देव विशारद 1967 में और स्वतंत्रता सेनानी विष्णु देव गुप्ता 1985 में विधायक बने। इस सीट से चुने गए विधायकों को दो-दो बार कैबिनेट में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला, हालांकि मंत्री बनने का मौका केवल मंगल देव विशारद, राजेंद्र कुमार और वर्तमान विधायक दारा सिंह चौहान को ही मिला। 1989 में हुए मध्यावधि चुनाव में स्वतंत्रता सेनानी श्याम सुंदर पांडेय के सुपुत्र अमरेश चंद्र पांडेय ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता। 

वहीं दूसरी तरफ़ 1991 के सामान्य विधान सभा चुनाव में एक बार पुनः अमरेश पांडेय ने अपना परचम लहराया। वर्ष 1993 के मध्यावधि चुनाव में अनुसूचित सीट होने के कारण इस सीट पर राजेंद्र कुमार को टिकट मिला और वह चुनाव जीतकर सरकार में वित्त एवं राजस्व मंत्री बनाए गए। 1996 के मध्यावधि चुनाव में समाजवादी पार्टी के बैनर तले सुधाकर सिंह पहली बार विधायक बने। 

वहीं वर्ष 2002 में बसपा से कपिल देव यादव विधायक चुने गए। इसके बाद विधानसभा चुनाव 2007 में बसपा के बैनर तले उमेश चंद्र पांडेय चुनाव जीतकर विधायक बने और 2012 के चुनाव में भी अपनी बादशाहत कायम रखी। सन 2017 में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार दारा सिंह चौहान ने चुनाव जीतकर पहली बार इस विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी का खाता खोला।


1. दारा सिंह , भाजपा 86238 40.26%

2. अमरेश चंद्र, कांग्रेस 56823 26.53%

3. उमेश पांडेय, बसपा 54803 25.58%

4. रामकुंवर , भाकपा 2363 1.10%

5. वंसराज, निर्बल भारतीय शोषित हमारा आम दल 2290 1.07%

6. राजू शर्मा, मोस्ट बैकवर्ड क्लासेज ऑफ इंडिया 1671 0.78%

7. भिरगुन, रालोद 1299 0.61%

8. विजय शंकर, बहुजन मुक्ति पार्टी 1082 0.51%

9. पहलवान, जन अधिकार पार्टी 987 0.46%

10. भानु प्रताप, पूर्वांचल पीपुल्स पार्टी 863 0.40%

11. रमेश, निर्दलीय 751 0.35%

12. राम प्रवेश यादव, निर्दलीय 725 0.34%

13. कन्हैया, लोक दल 522 0.24%

14. श्रीकांत यादव, निर्दलीय 505 0.24%

15. आनंद कुमार, राष्ट्रव्यापी जनता पार्टी 438 0.20%

16. चंद्रिका पाल, राष्ट्रीय समाज पक्ष 430 0.20%

17. रघुवीर, राकांपा 386 0.18%

18. सूर्य कुुमार, निर्दलीय 370 0.17%

19. देवेंद्र सिंह, एसएचएस 357 0.17%

20. आशुतोष, देशभक्त निर्माण पार्टी 341 0.16%

21. नरेंद्र, अंबेडकर समाज पार्टी 292 0.15%