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यूपी: वाराणसी में आठ हजार से अधिक राजस्व वाद हैं लंबित, वहीं प्रदेश में छह लाख से अधिक प्रकरण का नहीं हुआ निस्तारण।
वाराणसी। न्यायालय में राजस्ववाद के मामले दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश में अब तक छह लाख से अधिक मामले लंबित पड़े हैं। वाराणसी भी अछूता नहीं है। कुल आठ हजार 799 मामले यहां लंबित हैं। शासन ने इसे गंभीरता से लिया है। आयुक्त एवं सचिव मनीषा त्रिघटिया ने राजस्व वादों के निस्तारण में लापरवाही को लेकर सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है।
वहीं दूसरी तरफ़ साथ ही प्रत्येक जिले की सूची भी जारी किया है। कहा है कि प्रदेश में छह लाख से अधिक राजस्व वाद लंबित मामले इस बात को दर्शा रहा है कि जिम्मेदार अधिकारी इसको गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। मानिटरिंग भी सही ढंग से नहीं हो रही है। आयुक्त एवं सचिव ने जिलाधिकारी को निर्देशित किया है कि नियमित इसकी मानिटरिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि प्रकरण तेजी से निस्तारित हो सके।
वहीं पूर्वांचल के गाजीपुर जिले में 17012, आजमगढ़ में 16846, बलिया में 16542, जौनपुर में 1478&, मीरजापुर में 9757, मऊ में 68&2, चंदौली में 6812 , भदोही में 674& राजस्व के मामले लंबित हैं। वहीं जिलाधिकारी की ओर से सभी एसडीएम, मजिस्ट्रेट, चकबन्दी अधिकारी, तहसीलदार समेत अन्य राजस्व से अधिकारियों को निर्देश गया है कि राजस्ववाद के मामले रोस्टर बनाकर निस्तारित करें। इसमे किसी भी तरह की लापरवाही न बरती जाए।
बता दें कि फाइल के बोझ से कार्यालय फुलराजस्व न्यायालयो में लंबित प्रकरणों के कारण फाइलों की संख्या बढ़ती जा रही है। नतीजा आलमारी में रखने तक की जगह नहीं बची है। बस्ते में बांधकर कोने में फाइलों का ढेर लगाया जा रहा है। जमीन जायदाद को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं, यह वर्षों से चला आ रहा है। इस जंग की शुरुआत जमीन की चौहद्दी को लेकर होती है।
वहीं इसलिए सबसे पहले लोग जमीन की पैमाइश के लिए अफसरों का दरवाजा खटखटाते हैं। कुछ अफसर इसे महत्व नहीं देते तो कुछ महत्व देते हैं लेकिन राजस्व कर्मी इसको गंभीरता से नहीं लेते हैं। नतीजा मामला बढ़ता जाता है। पब्लिक हारकर न्यायालय की शरण में जाता है। अगर प्रारंभिक स्थित में ही इसको निस्तारित कर दिया जाए तो बहुत हद तक मामले कोर्ट में नहीं जाते।