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यूपी: वाराणसी में कोविड में अधिकतर ट्रेनें हुईं निरस्त, वहीं टेंडर ले चुकी कार्यदायी संस्‍थाओं के माथे पर खिंची चिंता की लकीरें।

यूपी: वाराणसी में कोविड में अधिकतर ट्रेनें हुईं निरस्त, वहीं टेंडर ले चुकी कार्यदायी संस्‍थाओं के माथे पर खिंची चिंता की लकीरें।

                                  𝕊.𝕂. 𝔾𝕦𝕡𝕥𝕒 ℝ𝕖𝕡𝕠𝕣𝕥𝕖𝕣 

वाराणसी। कोरोना संक्रमण काल में ट्रेनों का निरस्तीकरण जारी रहा। पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय मंडल में चलने वाली 43 पैसेंजर ट्रेनों में से वर्तमान में केवल 32 पैसेंजर ट्रेनें चल रही हैं। वहीं 148 मेल व एक्सप्रेस में से 143 का परिचालन किया जा रहा है। ट्रेनों की संख्या कम होने से यात्री भी जरुरी काम पर ही यात्रा की प्लानिंग कर रहे हैं। लोग अब भी ट्रेनों में सफर करने से बच रहे हैं। 

वहीं यात्रियों की संख्या कम होने से वाहन स्टैंड, डीलक्स शौचालय, खान पान स्टाल सहित यात्री सुविधाओं से जुड़ी हर जरुरत पर असर पड़ने लगी है। ऐसे में इन व्यवस्थाओं का संचालन करने वाले व्यवसायी त्रस्त हो गए हैं। कोविड में उन्हें मुनाफा नहीं मिल पा रहा है। पूर्व में टेंडर ले चुकी कार्यदायी संस्थाओं के माथे पर चिंता की लकीर दिखाई देने लगी है। अब रेलवे से राहत देने की मांग उठ रही है।

वहीं कोविड-19 को ध्‍यान में रखते हुए सभी यात्री ट्रेन सेवाएं मार्च 2020 से बंद कर दी गई थी। इसके बाद श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन हुआ और फिर धीरे-धीरे स्पेशल ट्रेनों के रूप में यात्री गाडिय़ों का संचालन किया गया। इन सभी ट्रेनों के नंबर के पहले अंक की जगह पर जीरो लगा दिया गया। जब से लेकर अब तक जीरो नंबर की स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। 

वहीं जीरो लगते ही सभी ट्रेनें स्पेशल ट्रेनों में तब्दील हो गई। कुछ माह पूर्व पैसेंजर ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया है तो इनमें सफर करने पर भी मेल, एक्सप्रेस श्रेणी का किराया वसूल किया जा रहा है। इनमें नंबर के आगे जीरो लगाकर इन्हें मेल, एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन का दर्जा दे दिया है।

वहीं मंडल के पटना, गया, सासाराम, डेहरी आन सोन, आसनसोल, भभुआ, दुर्गावती, सैयदराजा, गंजख्वाजा व चंदौली सहित अन्य स्टेशनों से सब्जी व अन्य अनाज लेकर छोटे कारोबारी प्रतिदिन पैसेंजर ट्रेन से पीडीडीयू जंक्शन पर आते हैं और व्यापार कर शाम को लौट जाते थे। पैसेंजर ट्रेनों के संचालन में इजाफा न होने से छोटे कारोबारियों का कारोबार अब पूरी तरह से ठप हो गया है। 

वहीं यहां थोक व्यापारी व छोटे कारोबारियों कि मांग है कि पैसेंजर ट्रेनें कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करवाते हुए चलाई जाए। उधर, पैसेंजर ट्रेन नहीं चलने के कारण गांव के छोटे स्टेशनों से शहर तक आने वाले लोग परेशान हो रहे हैं। स्टेशन प्लेटफार्म पर कुछ दुकानें बनी होती हैं। इन दुकानों पर ट्रेन रुकते ही काफी भीड़ हो जाती है और यह सिलसिला पूरा दिन चलता है। 

वहीं दूसरी तरफ़ स्टेशन प्लेटफार्मों पर ग्राहकों की कमी कभी नहीं रहती है, ऐसे में व्यापार लगातार चलता रहता है। कोरोना संक्रमण के बाद ट्रेनों का संचालन बंद हुआ तो स्टालों को बंद करा दिया गया। इससे मुनाफे में चल रहा व्यापार घाटे में पहुंचने लगा। इसके अलावा यात्रियों के वाहन खड़ा करने के लिए वाहन स्टैंड भी जंक्शन परिसर में बनाया जाता है, लेकिन कोरोना ने स्टैंड को भी अपने आगोश में ले लिया।

वहीं भारतीय रेलवे ने खान पान से जुड़ी पूरी सुविधा आइआरसीटीसी को सौंप दी है। आइआरसीटीसी ही इससे जुड़े बिजनेस, मेन्यु, खाने की रेट आदि पर फैसला करता है। अब आइआरसीटी ही जनाहार केंद्र, फूड प्लाजा, फूड कोर्ट, फास्ट फूड यूनिट, ई-कैटरिंग आदि पर काम करता है। रेलवे ने कुछ साल पहले ही अपनी कुछ नीतियों में बदलाव किया। इसके बाद अब एक ठेकेदार या कंपनी का एकाधिकार कायम ना रहे, इसके लिए इसे पांच साल तक सीमित कर दिया है। इससे नए लोगों को टेंडर लेने का अवसर मिलता है।