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यूपी: वाराणसी के दीनदयाल हस्तकला संकुल में शिल्प संग्रहालय को देखने वालों की संख्या बढ़ी।

यूपी: वाराणसी के दीनदयाल हस्तकला संकुल में शिल्प संग्रहालय को देखने वालों की संख्या बढ़ी।

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वाराणसी। बड़ालालपुर स्थित दिन दयाल हस्तकला संकुल में स्थित शिल्प संग्रहालय में जाने वालों की तादाद 2020 की तुलना में 2021 में बढ़ी है। लोगों ने बनारस के शिल्प की बारीकियों को देखा और जाना है। साल 2014 में भारत सरकार ने हथकरघा और हस्तकला उत्पादों को विकसित करने, उनको बढ़ावा देने एवं वाराणसी की समृद्ध शिल्प परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए एक व्यापार सुविधा केन्द्र और शिल्प संग्रहालय की स्थापना की घोषणा की थी। 

वहीं इस परियोजना की आधारशिला सात नवम्बर, 2014 को प्रधानमंत्री द्वारा रखी गई। यह दीनदयाल हस्तकला संकुल व्यापार सुविधा केन्द्र और शिल्प संग्रहालय 22 सितम्बर 2017 को जनता को समर्पित किया गया । यह शिल्प संग्रहालय 4300 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। संग्रहालय के सामने मुक्तांगन या एम्फी थियेटर भी है जहां कलाकारों द्वारा प्रत्येक शनिवार एवं रविवार सांयकाल संगीतमय प्रस्तुति दी जाती है। 

वहीं साथ ही, संग्रहालय की बाहरी दीवारों पर सायंकालीन डिजिटल मैपिंग प्रोजेक्शन द्वारा काशी की हस्तकला एवं हथकरघा की गौरवशाली परम्परा, यहाँ की संस्कृति आदि विशयों पर एक लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया जाता है । इस शिल्प संग्रहालय के भूतल पर वस्त्र वीथिका एवं कालीन व दरी वीथिका है। वस्त्र वीथिका में वाराणसी में तैयार की जाने वाली बनारसी साड़ियों , कपड़ों, दुपट्टों, सिले हुए वस्त्रों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित की गई है। 

वहीं दूसरी तरफ़ साथ ही इनके प्रकार और इन्हें बनाने की तकनीक की भी जानकारी दी गई है। इनकी बुनाई की पूरी प्रक्रिया एवं साड़ी तथा वस्त्र बनाने के काम में प्रयुक्त औज़ार तथा सामग्री भी प्रदर्शित की गई हैं। इनके अतिथि वीथिका में करघों के मॉडल भी रखे गये हैं। कालीन और दरियों की वीथिका में कालीन का इतिहास, कालीनों एवं दरियों के प्रकार, बुनाई के काम में उपयोग में आने वाले औज़ार तथा बुनाई की सामग्रियां भी प्रदर्शित की गई है। इसके साथ ही, वीथिका से बाहर निकलते ही कालीन बुनने का एक करघा भी लगा है जिसमें आधी बुनी हुई कालीन प्रदर्शित है ।

वहीं प्रथम तल पर हस्तशिल्प वीथिका में वाराणसी एवं आसपास के क्षेत्रों के हस्तशिल्पों का एक शानदार संग्रह है, जिसमें बनारस की प्रसिद्ध गुलाबी मीनाकारी के बने सामान जिसमें एक सजीव रिक्शा, मोर का जोड़ा, अपनी चोंच पर संतुलन बनाए हुए चील, चांदी के गहने, हौदे के साथ हाथी, काठी के साथ घोड़ा आदि शामिल हैं। बनारस का प्रसिद्ध शिल्प लकड़ी के बने और लाख के चमकदार रंगों से रंगे हुए खिलौने और पात्र भी यहां प्रदर्शित किए गए हैं। 

बता दें कि आज़मगढ़ के निज़ामाबाद की मिट्टी के चमकदार काले पात्र जिन पर चांदी के रंग से डिजाइन बने हुए हैं। धातु पर उभारदार नक्काशी का काम , जरदोजी कला के उदाहरण, वाराणसी के मशहूर कांच के मनके और साफ्ट स्टोन की अद्भुत जाली के काम को यहां दर्शाया गया है। यहां एक इमरसिव जोन भी है। 

वहीं जहां वाराणसी की कला, संस्कृति, हस्तशिल्प, हथकरघा पर बुने वस्त्रों तथा कालीन एवं दरियों के विषय पर एक लघु वृत्तचित्र का प्रसारण किया जाता है। इसी तल पर पर्यटकों एवं आगन्तुकों के लिए समकालीन वस्त्रों का एक संग्रह भी है। संग्रहालय के दूसरे तल पर कला वीथिका है, जहां आप वाराणसी से जुड़े ख्यातिप्राप्त कलाकारों द्वारा बनाये गये चित्र, मूर्तिशिल्प तथा पुराने व नये छायाचित्र भी देख सकते हैं।