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यूपी: वाराणसी में वसंत पंचमी के मौके पर पांच राज्यों को बीएचयू ट्रामा सेंटर में मिलेगी लैब की सौगात।
वाराणसी। पूर्वांचल के एम्स कहे जाने वाले चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के ट्रामा सेंटर में यूपी के साथ ही बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों के भी घायल मरीज जाते हैं। बावजूद इसके देश के सबसे अधिक आपरेशन थियेटर वाले इस ट्रामा में अभी तक जांच लैब की सुविधा नहीं है। इसके कारण मरीजों को सर सुंदरलाल अस्पताल या बाहर के लैब में जांच के लिए जाना पड़ता है।
वहीं इसके कारण उन्हें शारीरिक व आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ती है। हालांकि, यह समस्या अब दूर होने जा रही है। यहां भी अब आधुनिक जांच लैब बनाई गई। इसमें खून-पेशाब की करीब 100 प्रकार की जांचें होंगी। उम्मीद है मरीजों को वसंत पंचमी से लैब की सौगात मिलने लगेगी।
वहीं दूसरी तरफ़ 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीएचयू के इस ट्रामा सेंटर का लोकार्पण किया था। शुरूआत में इसमें 334 बेड था। लोकार्पण के बाद इसमें तीन विभाग अर्थो, न्यूरो सर्जरी व प्लास्टिक सर्जरी को सर सुंदरलाल अस्पताल से शिफ्ट किया गया। हालांकि इमरजेंसी वार्ड में बहुत अधिक भीड़ हो रही थी। स्ट्रेचर पर ही गलियों में मरीजों को उपचार कराना पड़ता था।
हालांकि वहीं संस्थान के निदेशक प्रो. बीआर मित्तल के निर्देशन में ट्रामा सेंटर के आचार्य प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह ने इसमें तमाम सुविधाएं बढ़ाई। इस सेंटर में आधुनिक सुविधाओं से लैस ट्राएज एरिया बनाया गया। जहां पर घायल मरीजों का प्राथमिक उपचार किया जाता है। यही से तय किया जाता है कि मरीजों को किस वार्ड में शिफ्ट किया जाना है या फिर छुट्टी की जानी है। इसके साथ ही डे केयर यूनिट भी बनाई गई।
वहीं दूसरी तरफ़ इसमें उन मरीजों का उपचार किया जाता है जिन्हें कुछ ही घंटों में छुट्टी देनी होती है। इसके कारण इमरजेंसी वार्ड में अनावश्यक भीड़ भी नहीं होती और मरीज का स्ट्रेचर पर ही उपचार कराने से छुटकारा भी मिल गया है। इसके साथ ही प्रो. सौरभ सिंह के नेतृत्व में यहां पर चार और आधुनिक आपरेशन थियेटर बनाया गया है। इसके साथ ही यह ट्रामा सेंटर देश के सभी ट्रामा सेंटर में सबसे अधिक ओटी वाला अस्पताल बना गया है।
वहीं अब यहां पर आधुनिक लैब भी शुरू होने जा रही है, जिसकी बहुत ही जरूरत थी। बताया जा रहा है ट्रामा सेंटर में अर्थों, न्यूरो सर्जरी व प्लास्टिक सर्जरी विभाग की ओपीडी में 600 से अधिक मरीज आते हैं। इसके अलावा इमरजेंसी वार्ड में भी लगभग 250 मरीज आते हैं, जो गंभीर रूप से घायल रहते हैं। सभी को अब एक ही छत के नीचे जांच की सुविधा मिलने लगेगी।