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यूपी: वाराणसी में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में घर बैठे कर सकेंगे एक वर्ष का डिप्लोमा व छह माह का सर्टिफिकेट कोर्स।

यूपी: वाराणसी में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में घर बैठे कर सकेंगे एक वर्ष का डिप्लोमा व छह माह का सर्टिफिकेट कोर्स।

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वाराणसी। गृहकार्य करने वाली भारतीय महिलाओं के अलावा चिकित्सकों, अभियंताओं सहित अन्य लोग संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से घर बैठे एक वर्ष के डिप्लोमा व छह माह के सर्टिफिकेट कोर्स की आनलाइन पढ़ाई करते हुए डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। विवि प्रशासन ने इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिया है। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय व संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान के बीन आनलाइन तीन भाषाओं हिन्दी,अंग्रेजी व संस्कृत में आनलाइन पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए शीघ्र करार होने जा रहा है।

वहीं इस संबंध में रविवार को कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने संवर्धन प्रतिष्ठान के तकनीकी प्रमुख धीरज के साथ बैठक कर विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर वार्ता की। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में ऑनलाइन नवीन एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम में आयुर्वेद साहित्य अष्टांग हृदय, श्रीमदभगवदगीता कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग के अलावा वेदांत दर्शन पंचदशी व योग दर्शन (पातंजल योग सूत्र) शामिल रहेगा। 

वहीं छह माह के सर्टिफिकेट कोर्स में योगदर्शनं, आयुर्वेद साहित्य, श्रीमदभगवतगीता व वेदांत दर्शनं शामिल रहेगा। कुलपति ने कहा कि संवर्धन प्रतिष्ठान के निदेशक प्रो. चांद किरण सलूजा के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर के साथ विधिक रूप से पाठ्यक्रम प्रारंभ किया जाएगा। इसके प्रारंभ होने से घर बैठे प्रवेश, अध्ययन, स्वंय के अध्ययन की समीक्षा व परीक्षा परिणाम की आनलाइन सुविधा प्राप्त होगी। 

वहीं दूसरी तरफ़ कुलपति प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत संस्कृत महाविद्यालयों में दो साल का अंग्रेजी व कंप्यूटर विज्ञान का पाठ्यक्रम दो सत्र 2022-23 से अनिवार्य होने जा रहा है। इसके लिए भी संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान के सहयोग से, जब तक महाविद्यालयों में संबंधित विषय के अध्यापक उपलब्ध न हो जाएं तब तक आनलाइन अंग्रेजी व कंप्यूटर विज्ञान के पाठ्यक्रम संचालित कराए जाएंगे।

वहीं कुलपति ने बताया कि संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान के साथ एमओयू कराया जाएगा, जिसमें पुस्तकालय का डिजिटलीकरण किया जाएगा। इससे पूरे देश के लोग लाभांवित होंगे। घर बैठे पुस्तकों के माध्यम से विभिन्न तरह के ज्ञान का उपयोग और उपभोग कर सकेंगे। इससे यहां की आर्थिक आय बढ़ेगी।