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यूपी: वाराणसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई जन्मस्थली को टूरिज्म के लिए बनाया गया तीर्थ के समान।
वाराणसी। काशी भगवान शिव की नगरी होने के साथ ही आजादी के समर में अपनी आहुति देने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की भी जन्मभूमि रही है। भदैनी में रानी लक्ष्मीबाई की जन्मभूमि आज भी उनकी स्मृतियों को सहेजे है। सोमवार को यूपी पर्यटन की ओर से रानी लक्ष्मीबाई पर एक पोस्टर जारी कर काशी की महानता के साथ ही रानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा को भी साझा किया है। पोस्टर जारी होने के बाद लोगों ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को लेकर अपने उद्गार व्यक्त किए और उनकी स्मृतियों को नमन कर रानी की वीरगाथा को याद किया।
वहीं यूपी पर्यटन की ओर से सोमवार की शाम को इंटरनेट मीडिया पर पोस्टर जारी किया गया। पोस्टर में वाराणसी के भदैनी क्षेत्र स्थित रानी लक्ष्मीबाई स्मारक को शेयर किया गया है। इस पोस्टर में रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा के साथ ही स्मारक की भव्यता भी साफ नजर आ रही है। इस पोस्टर के साथ यूपी पर्यटन की ओर से रानी लक्ष्मीबाई जन्मस्थली का भी जिक्र किया गया है।
वहीं दूसरी तरफ़ पोस्ट में लिखा गया है कि वाराणसी कई कारणों से यात्रियों को आमंत्रित करता है रानी लक्ष्मीबाई की जन्मस्थली उन्हीं में से एक है। केवल एक श्रद्धेय स्मारक से अधिक, यह स्थान प्रत्येक भारतीय के लिए तीर्थ के समान महत्व रखता है। क्या आप कभी यहां आए थे?' इसके साथ ही #DekhoApnaDesh #UPNahiDekhaTohIndiaNahiDekha आदि हैशटैग जारी कर पोस्टर को प्रमोट भी किया गया है।
वहीं दूसरी तरफ़ काशी का भदैनी क्षेत्र ही वह स्थान है जहां पर रानी लक्ष्मीबाई का बचपन बीता और उन्होंने यहां युद्धकौशल की बारीकियों को सीखा। काशी में उनका बचपन भदैनी की गलियों और हवेलियों में उस दौर में बीता जब रजवाड़ों और अंग्रेजों का दौर था। झांसी की रानी बनने के बाद उनकी वीरगाथा आज जन जन के जुबान पर दर्ज है लेकिन काशी का यह भदैनी क्षेत्र बहुत ही कम लोगों की निगाह में रानी लक्ष्मीबाई के जन्मस्थली के तौर पर पहचाना जाता है।