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यूपी: गोरखपुर विश्वविद्यालय में एफआइआर दर्ज न होने पर सत्याग्रह करेंगे शोधार्थी।
गोरखपुर। विश्वविद्यालय शोधार्थी अधिकार मंच की बैठक 13 जनवरी को हुई। जिसमें 14 जनवरी तक दिए गए तहरीर के मुताबिक विवि के अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज नहीं किए जाने पर 15 जनवरी से डीएम कार्यालय पर कोविड गाइडलाइन के अनुसार सत्याग्रह शुरू करने का निर्णय लिया गया।
वहीं बैठक में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अमन यादव ने कहा कि सात जनवरी को प्री-पीएचडी सत्र 2019-20 के प्रथम प्रश्नपत्र की परीक्षा के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने शोधार्थियों के साथ बदसलूकी की। जाति सूचक शब्द से अपमानित करने के साथ ही महिला शोध छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की तथा हमारा भविष्य बर्बाद करने की धमकी भी दी। इसको लेकर कैंट में नामजद तहरीर भी दी गई थी, लेकिन अभी तक संबंधित के विरुद्ध कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। बैठक में सभी शोधार्थी मौजूद रहे।
वहीं कोरोना के मद्देनजर आगामी 17 जनवरी से शुरू होने वाली परीक्षा टालने अथवा आनलाइन आयोजित कराने की मांग को लेकर गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्रनेता नारायण दत्त पाठक के नेतृत्व में गुरुवार को राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन मंडलायुक्त की अनुपस्थिति में अपर आयुक्त को सौंपा। ज्ञापन सौंपने वालों में सतीश प्रजापति, पीयूष राय, दीपक वर्मा, वैभव गुप्ता तथा हर्ष मौर्या आदि शामिल रहे।
वहीं रेल लाइन के किनारे पतंग उड़ाया तो जुर्माना के साथ दो साल की सजा भी हो सकती है। रेल लाइन के किनारे पतंग उड़ाना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। रेलवे अधिनियम की धारा 174 के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है। पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल की मंडल रेल प्रबंधक डा. मोनिका अग्निहोत्री के निर्देश पर गोरखपुर-लखनऊ रूट पर रेल लाइन के किनारे पतंग पर रोकथाम के लिए अभियान शुरू किया गया है।
बता दें कि वहीं रेलवे सुरक्षा बल तथा विद्युत (टीआरडी) विभाग की टीम नियमित रूप से पेट्रोलिंग कर रही है। जनसंपर्क अधिकारी महेश गुप्ता के अनुसार लखनऊ मंडल के लगभग सभी रेलमार्ग विद्युतीकृत हो गए हैं। ऐसे में पतंग की डोर से 25,000 वोल्ट एसी लाइन बाधित होने की आशंका बढ़ जाती है। जो खतरनाक साबित हो सकता है। बिजली बाधित होने से ट्रेनों का संचालन भी प्रभावित हो सकता है। रेल लाइन के किनारे पतंग उड़ाते हुए पकड़े जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।