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यूपी: वाराणसी काशी विश्वनाथ धाम में काशी सार वास्तुकार समागम समृद्ध परंपरा से अवगत हुए छात्र।

यूपी: वाराणसी काशी विश्वनाथ धाम में काशी सार वास्तुकार समागम समृद्ध परंपरा से अवगत हुए छात्र।

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वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम के ऐतिहासिक लोकार्पण के अवसर पर प्रदेश सरकार की ओर से सोमवार को बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में दो दिवसीय वास्तुकार समागम का शुभारंभ पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी ने किया। प्राविधिक शिक्षा मंत्री जितिन प्रसाद ने आनलाइन रहकर कार्यक्रम की सराहना की। 

वहीं इसमें काशी की समृद्ध परंपरा को संजोए और परिवर्तित होते विविध स्वरूपों पर आधारित आर्किटेक्ट डा. विमल पटेल के चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई। डा. पटेल ने आनलाइन समागम में मौजूद वास्तुकला छात्र-छात्राओं को चित्रों की बारीकियां बताईं।

वहीं मुख्य समन्वयक वास्तुकला संकाय, एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ वंदना सहगल ने बताया कि कार्यक्रम में देश भर से वास्तुकार एवं वास्तुकला विद्यार्थियों को आमंत्रित किया गया है। समागम का ध्येय काशी के नवनिर्माण को विशेषज्ञों एवं छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करना है। बाकी जो शहर हैं उसके बारे में मंथन करना है। बताया कि देश के सभी कोनों से आर्किटेक्ट को बुलाया गया है, जिसकी माैजूदगी में काशी की प्राचीन परंपरा को बताया गया। 

वहीं दूसरी तरफ़ काशी दुनिया भर में अपनी समृद्ध पहचान के लिए जानी जाती है। इस कार्यक्रम को यूट्यूब पर देश और दुनिया के लोगों ने भी देखा और सराहा। काशी में कैसे परिवर्तन हुआ है उसकी समूची जानकारी चित्रों में है। वंदना सहगल ने कहा कि युवा आर्किटेक्ट का भविष्य हमेशा उज्ज्वल रहता है। ये ऐसा विषय है जिसका हर दौर में मांग रहा है।

वहीं दूसरी तरफ़ आर्किटेक्ट डा. विमल पटेल ने आनलाइन ही प्रदर्शनी में लगे दर्जनों चित्रों के बारे में बताया। इसके जरिए उन्होंने बताया कि काशी की परंपरा वास्तुकला में भी काफी समृद्ध रही है। चित्रों में आम नागरिकों की समस्याओं से लेकर और बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखकर बखूबी उभारा गया है।

वहीं काशी की समृद्ध परंपरा को निहारेंगे: वंदना सहगल ने बताया कि काउंसिल आफ आर्किटेक्चर के सभी सदस्य यहां आए हुए हैं। इस काउंसिल में कम से कम देश के हर राज्य से एक लोग होते हैं। इस प्रकार 52 लोग आए हुए हैं। मंगलवार को काशी और सारनाथ स्थित प्राचीन धरोहरों को देखा जाएगा साथ ही उसकी समस्त जानकारी ली जाएगी। साथ में छात्र-छात्राओं को इसके बारे में बताया जाएगा। काशी विश्वनाथ धाम का दर्शन भी करेंगे।

वहीं समागम में लगी चित्रों की प्रदर्शनी में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के इर्द-गिर्द संकरी गलियां व घनी आबादी में एक-दूसरे से धक्कामुक्की करते हुए श्रद्धालुओं द्वारा बड़ी ही मुश्किल से बाबा दरबार जाकर दर्शन-पूजन करने का दृश्य उभारा गया है। गंगा की ओर के साथ ही गोदौलिया-चौक मार्ग की तरफ से भी बाबा धाम की भव्यता चित्रों में दिखाई दे रही है। 

वहीं अब यहां आराम से दर्शन-पूजन के साथ ही श्रद्धालु सुकून के साथ समय भी गुजार सकते हैं का वर्तमान दृश्य लोगों को देखने और राहत देने वाला प्रतीत हो रहा है। कुछ चित्रों में पहले गंगा के ललिता घाट, और मणिकर्णिका घाट के पूर्व और वर्तमान हालात को बड़ी ही बारिकी से उभारने का प्रयास किया गया है।

वहीं दूसरी तरफ़ प्रदेश के पर्यटन, धर्मार्थ व प्रोटोकॉल राज्यमंत्री मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा है कि काशी का विकास मील का पत्थर साबित होगा। यहां के प्राचीन ऐतिहासिक व धार्मिक धरोहरों का विकास विगत चार वर्षों में बहुत ज्यादा है। आज काशी के कुंड व तालाब तथा अन्य धरोहरें अपने नए व सुरक्षित रूप में हैं। 


वहीं दूसरी तरफ़ उन्होंने ये बातें एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्व विद्यालय की आर्किटेक्चर व प्लानिग फैकल्टी के तत्वावधान में यूपी के सांस्कृतिक व ऐतिहासिक शहरों के कायाकल्प पर सोमवार को बीएचयू स्थित स्वतंत्रता भवन में दो दिवसीय काशी सार वास्तुकार समागम का उद्घाटन करते हुए विशिष्ट अतिथि के रूप में कहीं। 

वहीं उन्होंने काशी की प्राचीनता व ऐतिहासिकता का उल्लेख करते हुए यहां के विकास की चर्चा की। कहा कि काशी का विकास पीएम नरेंद्र मोदी की प्रेरणा व योगदान से हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के नेतृत्व में काशी के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

बता दें कि वहीं काशी विश्वनाथ धाम की चर्चा करते हुए कहा कि 440 करोड़ की लागत में कॉरिडोर का निर्माण स्वयं में एक उदाहरण है। इसके साथ ही धार्मिक व ऐतिहासिक -पौराणिक धरोहरों का विकास देखा जा सकता है। प्रदेश सरकार ने काशी के कुंडों व तालाबों का जीर्णोद्धार कर भारतीय सांस्कृतिक व धार्मिक धरोहरों को संरक्षण प्रदान किया है। 

वहीं मुख्य अतिथि प्रदेश के प्राविधिक शिक्षा मंत्री जितिन प्रसाद ने वर्चुअल संबोधन में काशी में हो रहे विकास कार्यों व विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की चर्चा की। स्वागत करते हुए एकेटीयू के कुलपति विनीत कंसल ने वैज्ञानिक सोच को कार्य के धरातल पर उतारे जाने की चर्चा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय से संबद्ध 750 विद्यालयों के छात्र व व शिक्षक वैज्ञानिक सोच को धरातल पर उतारने के लिए कटिबद्ध रहेंगे।

वहीं काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर की उपाध्यक्ष सपना ने सांस्कृतिक विरासतों के महत्व के बारे में चर्चा की। कहा कि सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विरासतों के संरक्षण के लिए जन जागरूकता जरूरी है। प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा अमृत अभिताभ ने कहा कि ऐतिहासिक शहरों के विकास के लिए उत्तर प्रदेश शासन प्रतिबद्ध है। इसके लिए ऐतिहासिक शहरों के विकास के हितचिंतकों का विचार भी शामिल किया जाएगा। 

वहीं इस तरह के अन्य आयोजन भी इसी संदर्भ में किये जायेंगे। वास्तु कला संकाय के अधिष्ठाता वंदना सहगल ने अपनी वाराणसी यात्रा के संदर्भ में अनेक चित्र प्रस्तुत किये। उन्होंने पंचक्रोशी यात्रा का वर्णन करते हुए कहा कि पंचक्रोशी यात्रा मार्ग में बहुत सी मूर्त और अमूर्त धरोहरें हैं। उनका सचेत अनुभव यात्रा-पथ पर जाकर ही किया जा सकता है। प्राविधिक शिक्षा के विशेष सचिव सुनील चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।