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यूपी: लखनऊ में ट्रेनों की एसी बोगियों में अब कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं, चंडीगढ़ बांद्रा एक्सप्रेस में ट्रायल हुआ सफल।
लखनऊ। ट्रेनों की एसी बोगियों में सफर करते समय अब कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं होगा। अनुसंधान अभिकल्प और मानक संगठन आरडीएसओ ने एसी बोगियों के लिए एंटी वायरल और एंटी पैथोजेन सिस्टम की तकनीक विकसित की है। इस तकनीक का ट्रायल चंडीगढ़-बांद्रा एक्सप्रेस में किया गया। ट्रायल में पता चला कि इस तकनीक से एसी बोगी में किसी तरह का संक्रमण नहीं फैल सकता है। अब आरडीएसओ ने रेलवे बोर्ड को अपनी ट्रायल रिपोर्ट भेज दी है। जिससे देश भर की सभी ट्रेनों की एसी बोगियों में यात्रियों को सफर के दौरान कोरोना संक्रमण से बचाया जा सके।
वहीं आरडीएसओ पिछले एक साल से औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर), केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआइओ) के साथ वायरस और बैक्टीरिया को मारने में काम आने वाली पराबैगनी किरण (यूवी-सी) आधारित कीटाणुशोधन प्रणाली विकसित करने पर काम कर रहा था। इसके लिए एसी बोगियों के हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग (एचवीएसी) सिस्टम जहां से संक्रमण फैलता है। उसे सुरक्षित रखने के लिए शोध शुरू किया गया।
वहीं दूसरी तरफ़ आरडीएसओ और सीएसआइआर ने एसी बोगियों के लिए यूवी-सी आधारित सार्स वायरस निष्क्रियकरण प्रणाली को डिजाइन और विकसित किया। सिस्टम को विकसित व उसका परीक्षण करने के लिए चंडीगढ़ कोचिंग डिपो में एक एसी थ्री टियर बोगी को चुना गया। एसी बोगी में हवा का प्रवाह अधिक तेज होता है। आरडीएसओ के सामने मिलीसेकंड के कम समय में वायरस को निष्क्रिय करने की चुनौती दी। एसी बोगी की वायु नलिकाओं के माध्यम से वायु प्रवाह का एक कम्प्यूटेशनल फ्लूड डायनेमिक्स (सीएफडी) अध्ययन किया गया। एयरफ्लो को हाट -वायर एनीमोमीटर का उपयोग करके मापा गया।
बता दें कि वहीं इंस्टीट्यूट आफ माइक्रोबियल टेक्नोलाली (आइएमटेक) चंडीगढ़ में एक प्रायोगिक सेटअप बनाया गया। वायरस पर यूवी-सी के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए सीएसआइआर-आइएमटेक में लाइव वायरस और यूवी-सी विकिरण के साथ विस्तृत प्रयोग किए गए। यह देखा गया कि उचित मात्रा में यूवी-सी विकिरण 99 प्रतिशत तक वायरस को निष्क्रिय करने में सक्षम है। प्रयोगात्मक परिणामों की सफलता के आधार पर, यूवी-सी लैंप के आकार और वाट क्षमता को चुना गया।
वहीं प्रति एयर डक्ट में यूवी-सी बल्बों की संख्या की गणना की गई। यूवी-सी विकिरण रिसाव को यूवी प्रकाश मीटर का उपयोग करके मापकर यह सुनिश्चित किया गया कि यात्रियों वाले स्थान पर यूवी-सी विकिरण का रिसाव न हो। इसे चंडीगढ़ बांद्रा एक्सप्रेस की एसी थर्ड बोगी में फिट करके रन ट्रायल किया गया।
वहीं सीएसआइआर-सीएसआइओ कर्मियों ने एक महीने के लिए ट्रेन में यात्रा की। उत्तर रेलवे और आरडीएसओ के अधिकारियों की टीम के साथ प्रदर्शन, यात्री क्षेत्र में यूवी-सी के रिसाव और किसी भी खराबी का मूल्यांकन किया। सीएसआइआर की विकसित ड्राई एयर सैंपलर का इस्तेमाल हर घंटे हवा का नमूना लेने के लिए किया गया। सिस्टम सुरक्षा, पर्यावरण और ईएमआई मानकों पर खरा उतरा।