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Uttar Pradesh Election: आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी और MLA विनय शाक्य ने भी BJP से दिया इस्तीफा, अब तक 9 विधायकों और 3 मंत्रियों ने छोड़ी पार्टी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश (UP Assembly Election 2022) की योगी सरकार के आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी (Ayush Minister Dharam Singh Saini) भी BJP को झटका दे दिया है. यूपी से सामने आ रही जानकारी के मुताबिक धर्म सिंह सैनी ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है. इससे पहले उन्होंने सरकार की ओर से मिले आवास और सिक्योरिटी को वापस कर दिया था. विनय शाक्य (BJP MLA Vinya Shakya) ने साफ़ कर दिया है कि वे भी जल्द ही सपा जॉइन कर करने वाले हैं. वे गुरुवार को स्वामी प्रसाद मौर्य से मिलने पहुंचे हैं.
सैनी ने भी बीजेपी को अलविदा कह दिया है. सैनी भी स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya ) के बेहद करीबी हैं. हालांकि बुधवार को ही सोशल मीडिया पर धर्म सिंह सैनी का इस्तीफ़ा वायरल होने के बाद उन्होंने कहा था कि स्वामी प्रसाद मौर्य मेरे बड़े भाई हैं और बड़े भाई रहेंगे. उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया, इसकी जानकारी नहीं है. पता चला है कि जो उन्होंने सपा में जाने वालों की सूची दी है, उसमें मेरा भी नाम है, उन्होंने यह मेरे से पूछे बिना किया, जो गलत किया. मैं इसका खंडन करता हूं. मैं भाजपा में हूं और भाजपा में ही रहूंगा.
BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजे गए चिट्ठी में शाक्य ने लिखा है कि प्रदेश सरकार ने अपने 5 साल के कार्यकाल में दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं व जनप्रतिनिधियों को कोई तवज्जों नहीं दी गई और न उन्हें उचित सम्मान दिया गया. इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा ही दलितों, पिछड़ों, किसानों व बेरोजगारों नौजवानों और छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की भी घोर उपेक्षा की गई है. प्रदेश सरकार के ऐसे कूटनीतिपरक रवैये के कारण मैं भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं. स्वामी प्रसाद मौर्य शोषितों और पीड़ितों की आवाज हैं. वे हमारे नेता हैं, मैं उनके साथ हूं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विधायक धर्म सिंह सैनी और विनय शाक्य ने इस्तीफा दे दिया है. धर्म सिंह सैनी आज ही अखिलेश यादव से मुलाकात भी करने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सैनी नकुड़ विधानसभा सीट से विधायक हैं और यह सीट मुस्लिम बाहुल्य है. वे दो बार से अनुसूचित जाति और सैनी वोटों के गठजोड़ से महज 4 हजार के अंतर से जीत रहे थे. अखिलेश के साथ आने के दांव से उनकी नजर अब मुस्लिम वोटों पर भी है.