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वाराणसी: आइआइटी बीएचयू में स्थायी उद्यमी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए पूर्व छात्र ने एक मिलियन यूएस डालर का दिया अनुदान।
वाराणसी। आइआइटी बीएचयू फाउंडेशन आइआइटी पूर्व छात्रों का एक यूएस आधारित आल वॉलंटियर नान प्राफिट एसोसिएशन ने घोषणा की है कि आइइआइटी बीएचयू के इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग के 1980 बैच के पूर्व छात्र और क्लाउड बेस्ड इन्फार्मेशन सिक्योरिटी फर्म जीस्केलर के संस्थापक और सीईओ जय चौधरी ने आइआइटी बीएचयू फाउंडेशन को एक मिलियन यूएस डालर लगभग 7.5 करोड़ रुपये का दान दिया है। यह दान संस्थान के उद्यमिता केंद्र के माध्यम से छात्र विकास, संकाय विकास और उद्यमिता विकास पर ध्यान देने पर केंद्रित होगा।
वहीं दूसरी तरफ़ जय चौधरी द्वारा दिये गए डोनेशन से संस्थान में एक साफ्टवेयर इनोवेशन सेंटर स्थापित किया जाएगा जो एक ऐसा मंच प्रदान करेगा जहां छात्र साफ्टवेयर विकास, क्वांटम कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा, आइओटी और डेटा एनालिटिक्स के क्षेत्रों में सीखने और नवाचार करने में सक्षम होंगे। आइआइटी बीएचयू और संस्थान के ही पुरा छात्र दीप जरीवाला एमईटी 10 के सहयोग से एक संकाय सदस्य का चयन किया जाएगा।
वहीं जो जय चौधरी प्रोफेसर आफ साफ्टवेयर इनोवेशन की भूमिका निभाएगा और साफ्टवेयर इनोवेशन सेंटर का प्रबंधन संभालेगा। प्रोफेसरशिप और इनोवेशन सेंटर के अलावा, जय चौधरी द्वारा दी गई धनराशि साफ्टवेयर नवाचार पर एक व्याख्यान श्रृंखला और एक साफ्टवेयर प्रौद्योगिकी बीज कोष को निधि देगा। उन दोनों का प्रबंधन आइआइटी बीएचयू फाउंडेशन की ओर से पुरा छात्र विश नारायणन ईईई 83 द्वारा किया जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ़ जय चौधरी ने यू.एस. में पांच सफल तकनीकी कंपनियों की स्थापना की है इसमें जीस्केलर, क्लाउड सुरक्षा में एक इंडस्ट्री लीडर, एयरडिफेंस, एक वायरलेस सुरक्षा फर्म; सिफरट्रस्ट, पहला ईमेल सुरक्षा गेटवे, कोरहार्बर, एक प्रबंधित ईकॉमर्स समाधान फर्म, और सिक्योरआईटी, पहली प्योर-प्ले इंटरनेट सुरक्षा सेवा।
वहीं 1980 में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ आइआइटी बीएचयू से स्नातक करने वाले जय चौधरी बताते हैं कि आइआइटी बीएचयू में मुझे जो शिक्षा मिली, उसने मुझे व्यवसाय की दुनिया के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह उद्यमिता केंद्र युवा छात्रों को अपने करियर को नेविगेट करने और व्यावहारिक कौशल सीखने के लिए शिक्षित करने के साथ-साथ साइबर सुरक्षा की दुनिया में अधिक प्रतिस्पर्धी बनने के लिए मदद करेगा। मेरी आशा है कि उद्यमिता केंद्र बड़े सपनों और आकांक्षाओं वाले छात्रों को वही अवसर प्रदान करेगा जो मैं अनुभव करने के लिए भाग्यशाली था।
वहीं दूसरी तरफ़ आइआइटी बीएचयू फाउंडेशन के अध्यक्ष अरुण त्रिपाठी एमईसी ’97 ने कहा कि जय चौधरी उन ऊंचाइयों का एक गौरवपूर्ण उदाहरण हैं, जो आइआइटी बीएचयू के छात्र-छात्राएं पहुंच सकते हैं। श्री त्रिपाठी ने कहा कि जय चौधरी छात्रों के लिए प्रेरणा हैं। इस उपहार के साथ, हमने वित्त पोषण हासिल किया है जो आइआइटी में छात्र विकास, संकाय विकास और उद्यमिता विकास में मदद करेगा, जो भविष्य के उद्यमियों के निशान को उजागर करेगा। पूर्व छात्रों के रूप में, हम सभी को अपने संस्थान को फिर से जीवंत करने, अपने मिशन को आगे बढ़ाने और इंजीनियरिंग के विश्व स्तरीय कॉलेज के रूप में अपनी प्रतिष्ठा को मजबूत करने की तीव्र इच्छा है। जय का उपहार हमें वह सब और बहुत कुछ हासिल करने में मदद करता है।
बता दें कि वहीं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी पवित्र गंगा नदी के तट पर प्राचीन शहर वाराणसी के दक्षिणी छोर पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शानदार परिसर में स्थित है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग शिक्षा 1919 में बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज (बेंको) की स्थापना के साथ शुरू हुई। 1969 में बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज (बेंको), कॉलेज ऑफ माइनिंग एंड मेटलर्जी और कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी को मिलाकर प्रौद्योगिकी संस्थान बनाया गया।
वहीं बीते वर्ष 29 जून 2012 को, भारत सरकार ने आईटी-बीएचयू को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय में परिवर्तित कर दिया। संस्थान देश में आधुनिक अंतःविषय तकनीकी उन्नति का अग्रदूत बनने की इच्छा रखता है और समकालीन तरीकों के साथ पारंपरिक रूप से नवीन शिक्षा शास्त्र के उपयोग से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में सबसे आगे है।