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यूपी: वाराणसी में गंगा पार रेती में आकार लिए 1008 नर्वदेश्वर शिवलिंग का होगा रुद्राभिषेक।

यूपी: वाराणसी में गंगा पार रेती में आकार लिए 1008 नर्वदेश्वर शिवलिंग का होगा रुद्राभिषेक।

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वाराणसी। गंगा पार रेती में 20 फरवरी से दिव्य नजारा दिखेगा। यहां 1008 नर्वदेश्वर शिवलिंग नजर आएंगे जिनका रुद्राभिषेक किया जाएगा। साथ ही 100 हवन कुंडों पर सीताराम नाम जप रुद्र महायज्ञ किया जाएगा। इसमें 1100 दंपती इंद्र- इंद्राणी रूप में आहुति देते नजर आएंगे। संत आत्मानंद दास महात्यागी नेपाली बाबा के सानिध्य में कोरोना शमनार्थ-विश्वकल्याण कल्याणार्थ यह आयोजन किया जा रहा है। इसे 100 कुंडीय हवन सीताराम नाम जप रुद्र महायज्ञ नाम दिया गया है।

वहीं महायज्ञ के लिए तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। विशाल मंडप यज्ञशाला और प्रवचन स्थल का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए 147 फीट लंबा, 147 फीट चौड़ा, 51 फीट ऊंचा, 11 मंजिला यज्ञ मंडप, 136 फीट लंबा, 136 फीट चौड़ा, 51 फीट ऊंचा, नौ मंजिला रुद्राभिषेक मंडप बनाया जा रहा है। साथ ही प्रवचन व नित्य भंडारा के लिए 20000 क्षमता विशाल पंडाल आकार पा रहा है। 

वहीं विशिष्टजनों के आगमन को देखते हुए अतिथि गृह का भी निर्माण कराया जा रहा है। संत नेपाली बाबा ने बताया कि यज्ञ स्थल पर 1008 नर्वदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की जा रही है। इसके दर्शन का पूर्ण लाभ श्रद्धालुओं को मिलेगा। गंगा के पावन तट पर भगवान शिव का रुद्राभिषेक के साथ सीता राम नाम का अखंड जप होगा। भगवान शिव, मां गंगा व प्रभु श्री राम की त्रिवेणी बहेगी। शिव नगरी में गंगा किनारे शिव महापुराण का विशेष महत्व है। पूर्व व वर्तमान जन्म के पाप का भी शमन होता है।

वहीं संत आत्मानंद दास महात्यागी नेपाली बाबा 14 वर्षों तक अन्न जल का त्याग कर 24 घंटे में केवल एक बार दूध का सेवन करते रहे। सात वर्ष तक दिगंबर रूप में रहे। जल-पत्ते का सेवन करते थे। अभी 70 वर्ष की आयु में लौकी, साग, दूध, दही व फलाहार पर रहते हैं। धरती पर शयन करने वाले टाटंबरी संत नेपाली बाबा तपोनिष्ठ, ब्राह्मनिष्ठ, ब्रह्मलीन तपस्वी नारायण दास जी महाराज के शिष्य हैं। 

वहीं तत्कालीन नेपाल नरेश महाराज वीरेंद्र विक्रम सिंह ने पूज्य संत की तपस्या से प्रभावित होकर अनुरोध किया कि भारत के साथ वे अपने नाम के साथ नेपाल को जोड़ लें, तभी से नेपाली बाबा के नाम से विख्यात हैं। उनका नेपाल में भी बड़ा आश्रम है। वर्ष में एक बार वे नेपाल अवश्य जाते हैं।

वहीं महायज्ञ में 100 कुंटल तिल, 50 कुंटल चावल, 25 कुंटल जौ, 15 कुंटल गुड़, 40 कुंटल घी के अतिरिक्त 200 टीन आश्रम का शुद्ध घी से आहुति दी जाएगी। कार्यक्रम में देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेंगे। प्रतिदिन 20,000 लोगों के लिए प्रसाद की व्यवस्था की जा रही है। प्रतिदिन सांय संत महात्माओं के प्रवचन भी होंगे। मुख्य यजमान समाजसेवी सत्यनारायण झुनझुनवाला है। सह यजमान देश भर से 1100 युगल दंपत्ति होंगे।