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यूपी : वाराणसी में महाशिवरात्रि पर्व पर काशी विश्वनाथ का गर्भगृह हो जाएगा स्वर्ण मंडित, वहीं 12 जनवरी से चल रहा है कार्य।
वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण दिसंबर में हुआ था लेकिन मंदिर के जीर्णोद्धार और उसे और भव्य स्वरूप देने का कार्य अभी जारी है। इसी क्रम में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास में महाशिवरात्रि से एक और नया अध्याय जुड़ जाएगा।
वहीं मंदिर के गर्भगृह की भीतरी दीवारों को स्वर्णमंडित करने का कार्य महाशिवरात्रि से पूर्व पूरा हो जाने की उम्मीद है। बाबा विश्वनाथ के विवाहोत्सव के दिन श्रद्धालु स्वर्णमंडित गर्भगृह का अवलोकन करेंगे। दक्षिण भारत के एक स्वर्ण व्यवसायी ने सोना दान की इच्छा जतायी थी।
वहीं सोने लगाने वाली संस्था के मुकुंद लाल के अनुसार पहले चरण में प्लास्टिक के सांचे का काम पूरा हो गया है। दूसरे फेज में तांबे के सांचे का कार्य भी अंतिम चरण में है। तीसरे चरण में शुक्रवार से सोना लगने का कार्य शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि तक सोना लगने का कार्य पूरा हो जाने की उम्मीद है।
वहीं मुकुंदलाल ने बताया कि सोने पहले गर्भगृह की दीवारों पर लगेगा उसके बाद गर्भगृह के चौखट और अंत मे बाहरी दीवारों पर सोना लगाया जाएगा। शिवरात्रि के दिन श्रद्धालु बाबा के स्वर्ण मंडित गर्भगृह का दर्शन करेंगे।
वहीं मंदिर के गर्भगृह की भीतरी और बाहरी दीवारों को स्वर्णमंडित करने के लिए 10 सदस्यीय टीम दो चरण में काम कर रही है। मंदिर प्रशासन के मुताबिक सांचे के आधार पर ही गर्भगृह की भीतरी दीवारों को स्वर्णमंडित करने को सोने के पत्तर तैयार किए गए हैं। ये स्वर्ण पत्र टुकड़ों में होंगे। सांचा तैयार होने का काम पूरा होते ही स्वर्ण पत्तर लगाने का कार्य शुरू हो जाएगा।
बता दें कि इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने 1777 में वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कराया, जिसके दो शिखरों को स्वर्णमंडित कराने के लिए पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने 1835 में साढ़े 22 मन सोना दान में दिया था। कई दशक पूर्व लगे स्वर्ण पत्र धूमिल हो गए थे। जिसे विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से पहले विशेषज्ञ कारीगरों की मदद से सोने की सफाई करायी गयी थी। अब स्वर्ण शिखर की चमक बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को मोहित कर रहे है।
वहीं दूसरी तरफ़ अधिकारियों के मुताबिक कई वर्ष पूर्व गर्भगृह के अंदर स्वर्ण पत्र लगाने का 50 करोड़ का इस्टीमेट बना था। तब बीएचयू आईआईटी के विशेषज्ञों ने दीवारों को अतिरिक्त भार सहने योग्य नहीं माना था। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने कहा कि स्वर्ण मंडित कराने का का कार्य तेज गति से कराया जा रहा है।