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यूपी: सोनभद्र ज़िले के दुद्धी अंतर्गत डूमरचुआ गांव में मतदान के लिए 40 किमी की दूरी तय करेंगे ग्रामीण।
सोनभद्र। उत्तर प्रदेश की अंतिम विधानसभा सीट दुद्धी के डूमरचुआ गांव के लोगों को बूथ तक पहुंचने में करनी होगी लंबी परिक्रमा। इस गांव और बूथ के बीच की हवाई दूरी वैसे तो महज ढाई किलोमीटर की है, लेकिन बीच से नदी प्रवाहित होने के कारण ग्रामीण यह अतिरिक्त दूरी तय करने को विवश हैं।
वहीं इसे विडंबना कह लें या जिम्मेदारों की उदासीनता की नजीर। उत्तर प्रदेश का एक गांव ऐसा है, जहां के लोगों को वोट देने के लिए करीब 40 किलोमीटर की परिक्रमा करनी होगी। कई अन्य गांवों और टोलों से होकर यह मतदाता अपने बूथ तक पहुंचेंगे।
वहीं प्रदेश की अंतिम विधानसभा सीट दुद्धी में शामिल इस गांव और बूथ के बीच की हवाई दूरी वैसे तो महज ढाई किलोमीटर है, लेकिन बीच से नदी प्रवाहित होने के कारण ग्रामीण यह अतिरिक्त दूरी तय करने को विवश हैं। इस मामले में प्रशासन की दलील है कि गांव में बूथ बनाने की कोई व्यवस्था नहीं है। लिहाजा ग्रामीणों को अपने निर्धारित बूथ पर ही जाना होगा।
वहीं म्योरपुर ब्लॉक के खम्हरिया ग्राम पंचायत का टोला है डूमरचुआ। करीब ढाई सौ मतदाताओं वाले इस टोले में लोग अरसे से देश-प्रदेश की सरकार चुनने में अपना बढ़-चढ़कर योगदान देते रहे हैं, बावजूद उनकी समस्या का समाधान किसी ने नहीं किया। अपनी ही ग्राम पंचायत से अलग-थलग पड़ा यह टोला अजीर नदी के दूसरी तरफ स्थित है, जबकि उनका बूथ नदी के इस पार ग्राम पंचायत के प्राथमिक विद्यालय में है।
वहीं पुल के अभाव में ग्रामीणों को बूथ तक पहुंचने के लिए डोडहर, बीजपुर, नेमना, जरहा, पिंडारी, झीलों आदि गांव से होते हुए करीब 20-21 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। दोनों तरफ की यह दूरी 40 किलोमीटर से भी ज्यादा है। ग्राम प्रधान इजाजत शेख ने बताया कि हर चुनाव में यह दिक्कत रहती है। इसके लिए कई बार इस टोले के लिए अलग बूथ बनवाने की मांग की गई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
वहीं दूसरी तरफ़ पंचायत चुनाव में प्रत्याशी स्थानीय होने के कारण ग्रामीणों को वाहन या नाव की सुविधा मिल जाती है, लेकिन लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कई बार ग्रामीणों को खुद के भरोसे ही वोट देने जाना पड़ता है। गांव के बीएलओ रहे त्रिभुवन सिंह ने बताया कि नाव का सहारा लेने पर भी ग्रामीणों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
वहीं उप जिला निर्वाचन अधिकारी राकेश सिंह ने कहा कि मामला हमारे संज्ञान में नहीं था। अगर ऐसी समस्या है तो तहसीलदार को मौके पर भेजकर जानकारी कराएंगे। ग्रामीणों को वोट देने के लिए हर संभव सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
वहीं ग्रामीणों को कोटे की दुकान से राशन लेने के दौरान भी ऐसी ही समस्याओं से जूझना पड़ता है। इसके चलते उन्हें कई बार अपनी दिहाड़ी मजदूरी भी छोड़नी पड़ती है। यही हाल अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए प्रधान और सेक्रेटरी तक पहुंचने के लिए भी करना पड़ता है। पिछले दिनों इसके लिए गांव के लोगों ने ब्लॉक व तहसील कार्यालय पर पहुंचकर मांग भी उठाई थी, फिर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया।
वहीं जटिल भौगोलिक परिस्थिति के कारण ग्रामीणों को भले ही बूथ तक पहुंचने में लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, लेकिन उनका लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने के प्रति उत्साह कम नहीं है। हर चुनाव में यहां 70 फीसदी से अधिक मतदान होता है। अपने अधिकारों के प्रति सजग ग्रामीण येन-केन-प्रकारेण बूथ तक पहुंचकर वोट देने में पीछे नहीं रहते।