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यूपी में चुनाव प्रचार के दौरान 5 साल बाद एक साथ दिखे अखिलेश, मुलायम और शिवपाल यादव

यूपी में चुनाव प्रचार के दौरान 5 साल बाद एक साथ दिखे अखिलेश, मुलायम और शिवपाल यादव


इटावा  : दो चरणों की वोटिंग के बाद उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2022 (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) काफी रोमांचक दौर में पहुंच गया है. इसके साथ-साथ तीसरे दौर के लिए प्रचार अभियान भी काफी तेज हो गया है. वहीं, इटावा से एक दिलचस्प तस्वीर सामने आई है जिसमें समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव पांच साल से अधिक समय के बाद पहली बार एक साथ दिखाए दिए.

2017 के विधान सभा चुनावों से पहले तीनों को आखिरी बार अक्टूबर 2016 में लखनऊ में 'समाजवादी विकास रथ' को हरी झंडी दिखाने के लिए एक साथ देखा गया था. वहीं 2016 में, अखिलेश ने पारिवारिक विवाद के कारण अपने चाचा शिवपाल को समाजवादी पार्टी से निकाल दिया था. बाद में शिवपाल ने अपनी खुद की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाई.

हालांकि, पीएसपी 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में एक भी सीट जीतने में नाकाम रही थी. शिवपाल सिंह यादव की पार्टी अब अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा है. अखिलेश और शिवपाल के बीच दरार पिछले साल आधिकारिक रूप से समाप्त हो गई थी क्योंकि उन्होंने राज्य में भाजपा सरकार को हटाने के लिए हाथ मिलाने का फैसला किया था. हालांकि इसके बाद से दोनों नेताओं को कभी भी साथ में स्टेज शेयर करते नहीं देखा गया.

कभी सपा का गढ़ माने जाने वाले इटावा में अखिलेश यादव और शिवपाल दोनों ने न सिर्फ मंच साझा किया बल्कि एक-दूसरे को स्वीकार भी किया. इस अवसर पर अखिलेश ने कहा, 'चाचा (शिवपाल सिंह यादव) की वापसी आगामी विधानसभा चुनावों में हमारी ताकत को मजबूत करेगी और यूपी चुनाव में बीजेपी को हराने में हमारी मदद करेगी.' गुरुवार को समाजवादी पार्टी के 'समाजवादी विजय रथ' की शुरुआत इटावा के लायन सफारी से हुई. 'रथ' से शिवपाल और मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी और उसके गठबंधन के लिए प्रचार किया.

उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनावों में, भारतीय जनता पार्टी ने 403 सीटों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में से 312 सीटें हासिल कीं थीं जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) को 47 सीटें मिली थीं. वहीं बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) ने 19 सीटें तो कांग्रेस को केवल सात सीटों पर सफलता मिली थी. बाकी सीटों पर अन्य उम्मीदवारों ने कब्जा जमाया था.