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यूपी: सीतापुर में 84 कोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष महंत भरत दास ब्रह्रलीन।
लखनऊ। सीतापुर मैं प्रसिद्ध चौरासी कोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष व पहला आश्रम के महंत भरत दास बुधवार की सुबह ब्रह्रलीन हो गए। 72 वर्षीय महंत का पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य खराब चल रहा था। निधन सीतापुर की खबर पाकर विभिन्न मठ, मंदिर व आश्रमों के महंत पहला आश्रम पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके शिष्य बजरंग दास ने बताया कि अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर आश्रम में रखा जाएगा।
वहीं बुधवार की शाम को आश्रम की परंपरा अनुसार उनका अंतिम संस्कार रामगढ़ के पहला आश्रम में किया जाएगा। महंत भरत दास अपने सरल स्वभाव व ओजस्वी वाणी के लिए प्रसिद्ध थे। चौरासी कोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष के रूप में वह कई वर्ष से अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे थे। मिश्रिख-नैमिषारण्य में प्रति वर्ष होली से पूर्व होने वाली चौरासी कोसी परिक्रमा के संचालन, श्रद्धालुओं की सुविधाओं को लेकर वह सदैव मुखर रहे। इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों से नियमित संवाद करते थे।
वहीं मूल रूप से हरदोई के निवासी थेः महंत भरत दास मूल रूप से हरदोई जिले के सांडी तहसील के ग्वाल मरेली के रहने वाले थे। वह बाल्य अवस्था में ही आध्यात्मिक रुचि के चलते नैमिषारण्य आ गए थे। यहां पहला आश्रम के तत्कालीन महंत देवी दास से दीक्षा ली और सेवा में लग गए।
वहीं पहला आश्रम के महंत देवी दास ब्रह्रलीन हुए तो उनकी गद्दी उत्तराधिकारी के रूप में भरत दास को सौंपी गई। वह पहला आश्रम के महंत बन गए। वर्ष 2008 में उनको चौरासी कोसी परिक्रमा समिति का अध्यक्ष चुना गया। तबसे दोनों दायित्वों का निर्वहन कर रहे थे।
वहीं फाल्गुन की शुक्ल प्रतिपदा को चौरासी कोसी परिक्रमा सुबह नैमिषारण्य से पहले पड़ाव के लिए रवाना होती है। इस परिक्रमा को चौरासी कोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष महंत भरत दास डंका बजाकर रवाना करते थे। महंत को डंका वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता था।