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बिहार: किशनगंज में नशे में धुत्त साथियों ने गालियां देते हुए एएनएम से करवाया था डांस, वहीं दूसरी ओर न्याय में मिला सिर्फ सुलहनामा।
बिहार। किशनगंज जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत एएनएम ने संगीन आरोप लगाते हुए वरीय अधिकारियों से से सहयोगी स्वास्थ्य कर्मियों की शिकायत की। लेकिन अधिकारियों ने कुछ भी कार्रवाई नहीं की। उल्टा आरोपितों पर मेहरबानी दिखा दी। लिहाजा, बेबस लाचार एएनएम ने नौकरी जाने के डर से समझौता कर लिया।
वहीं एएनएम ने आरोप लगाते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन स्वास्थ्य केंद्र में डीजे लगवाया गया था। इस डीजे पर डांस का वीडियो भी वायरल हुआ था। इसी दिन मैं स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो देखा कि वहां सभी कर्मी डांस कर रहे हैं। लिहाजा, मैं वापस आने लगी। इसी दौरान संतोष कुमार डाटा आपरेटर एवं डा. दुबे अभद्र भाषा का प्रयोग कर आवाज लगाने लगे।
वहीं इसी क्रम में लिपिक शिवाजी दौड़कर आया और मेरा हाथ पकडकर खींचते हुए डांस के बीच लेकर चला आया। इस दौरान उन लोगों के मुंह से शराब की बदबू आ रही थी। मुझसे जबरन धक्का देकर डांस करवाया गया। मैं वहां से हटना चाहती थी लेकिन जबरन हाथ पकड़कर डांस करने को मजबूर किया गया।
वहीं उन्होंने इस आवेदन में ऐसे कर्मियों पर कार्रवाई करने की मांग की ताकि अन्य महिला कर्मचारी के साथ ऐसा व्यवहार नहीं हो। एएनएम के द्वारा सिविल सर्जन, प्रभारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को आवेदन देने के साथ प्रतिलिपि डीएम, एसपी, महिला थानाध्यक्ष एवं संबंधित थानाध्यक्ष को दिया गया। इसके बावजूद ऐसे अनुशासनहीन कर्मियों पर कार्रवाई के बजाय एएनएम से समझौता कराया दिया।
वहीं दूसरी तरफ़ मामले पर पीएचसी प्रभारी डा इनामुल हक ने कहा कि एएनएम द्वारा स्वास्थ्य केंद्र के कर्मियों पर आरोप लगाया गया था। मामले में अपने स्तर से जो करना था कर सभी पक्षों के बीच समझौता करा दिया गया है। महिला कर्मियों की सुरक्षा प्रति पदाधिकारियों की क्या जिम्मेदारी है। महिला सशक्तिकरण की बात करने वाले नियम कहां हैं ?
वहीं इस तरह की चर्चा अब जिले में हो रही है। सवाल है कि आखिर जिला के वरीय अधिकारी को आवेदन देने के बाद भी कार्रवाई के बजाय कई लोगों ने एएनएम से समझौता कैसे करा दिया ? इस समझौतानामा में डाक्टर सहित 15 लोगों का हस्ताक्षर भी हैं।
वहीं इस प्रकार के आरोप के बाद पदाधिकारियों के उदासीनता से सरकारी महिला कर्मी कितनी सुरक्षित है इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि, मामले में जिला के स्वास्थ्य विभाग के सबसे बड़े अधिकारी सिविल सर्जन कौशल किशोर ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।