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हरियाणा : वातावरण प्रदूषण को लेकर पाल्‍यूशन का खतरा अब भी रहा बरक़रार।

हरियाणा : वातावरण प्रदूषण को लेकर पाल्‍यूशन का खतरा अब भी रहा बरक़रार।


हरियाणा। वातावरण प्रदूषण को लेकर अनेकों कदम उठाए जा रहे हैं। पुराने वाहनों पर पाबंदी के अलावा प्रदेश सरकार की ओर से वातावरण की स्वच्छता के लिए पौधारोपण किया जा रहा है। इसी क्रम में औद्योगिक क्षेत्रों में भी प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए पीएनजी (पाइप्ड नेचूरल गैस) लाई गई है। उद्योगों को जैविक ईंधन पर लाने के लिए सीएम सिटी में नवंबर 2020 में पीएनजी गैस की इंडस्ट्री को सप्लाई चालू किया गया था।

वहीं हैरानी की बात है कि 14 माह बीतने के बाद अभी तक केवल 45 उद्यम ही इसे अपना पाए हैं। एक तरफ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से वातावरण स्वच्छता के लिए सख्त है और दूसरी तरफ उद्यमी इसे अपनाने से बचने के उपाए ढूंढ रहे हैं। इसके लिए हरियाणा स्टेट इंडस्टियल डेवेल्पमेंट कार्पोरेशन की ओर से सेक्टर-3 स्थित उद्यमियों को नोटिस भी दिए गए हैं बावजूद इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

वहीं बसंत विहार वासी सुभाष चंद्र ने बताया कि रोजाना घर के आंगन की सुबह-शाम साफ-सफाई की जाती है। सुबह जब उठते हैं तो बरामदे में बारीक धूल जमी होती है जोकि झाड़ू मारने पर आंखाें व नाक में जाती है। सप्ताह में एक-दो बार जरूर इस समस्या का सामना करना पड़ता है। उनका आरोप है कि रात के समय विभाग की नजर से बच कर फैक्ट्रियों की चिमनियों से वातावरण में गंदगी निकाली जाती है।

बता दें कि वहीं जानकारी के अनुसार केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन समिति ने एनसीआर क्षेत्र में आने वाले उद्यमों को पीएनजी और सीएनजी पर आने के लिए 30 सितंबर 2022 तक का समय दिया गया है। शहर में पीएनजी पाइप लाइन बिछाने वाली कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस के क्षेत्रीय अधिकारी अंकुश जैन ने बताया कि जिला के औद्योगिक क्षेत्र में पीएनजी पाइप लाइन बिछाने का काम पूरा हो चुका है। लगभग 500 में से अब तक केवल 45 फैक्ट्रियों ने पीएनजी कनेक्शन लिए हैं। उनका कहना है कि जल्द ही अल्लीपुरा खालसा, मुगलमाजरा में भी पीएनजी चालू कर दी जाएगी।

वहीं हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड करनाल के क्षेत्रीय निदेशक शैलेंद्र अरोड़ा ने बताया कि औद्या्ेगिक क्षेत्रों में प्रदूषण को कम करने के लिए एचएसआइडीसी के अधिकारियों से कई बार चर्चा हो चुकी है। प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए उद्यमियों को नोटिस भी दिए गए हैं लेकिन उसे नजरअंदाज किया जा रहा है। इंडस्ट्री संचालकों के पास 30 सिंतबर तक का समय है। इस दौरान आदेशों की पालना के लिए जागरूक किया जा रहा है।