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सॉवरन गोल्ड में निवेश करना हुआ ज्यादा फायदेमंद, समझे कैसे पा सकते हैं बेहतर रिटर्न

सॉवरन गोल्ड में निवेश करना हुआ ज्यादा फायदेमंद, समझे कैसे पा सकते हैं बेहतर रिटर्न


मुंबई । भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2016 में सॉवरन गोल्ड (Sovereign Gold) लॉन्च किया था. तब ज्यादातर लोग निवेश (Investment) के इस नए विकल्प के बारे में उलझन में थे. लेकिन जयपुर के आनंद को यह बॉन्ड पसंद आ गया. उन्होंने सॉवरन गोल्ड बॉन्ड यानी एसजीबी के जरिए 100 ग्राम सोने में निवेश कर दिया. अब इस बॉन्ड को भुनाने पर उन्हें मोटा मुनाफा हुआ है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सरकारी योजना हैं. यह फिजिकल गोल्ड (Physical Gold) का बढ़िया विकल्प साबित हो रहा है. इस बॉन्ड को रिजर्व बैंक जारी करता है. जनवरी 2016 में जब गोल्ड बॉन्ड जारी किए गए थे, तब एक ग्राम के बॉन्ड की कीमत 2600 रुपए थी. तब आनंद ने कुल 2.60 लाख रुपए निवेश किए थे.

हालांकि, इस बॉन्ड की मैच्योरिटी आठ साल की है, लेकिन पांच साल बाद इसे भुना सकते हैं. आरबीआई ने पहली बार प्रीमैच्योरिटी का विकल्प दिया है. इसके लिए 4,813 रुपए प्रति यूनिट का भाव तय किया गया है. यह भाव सोने के बीते हफ्ते के बंद भाव का औसत निकाल कर तय किया जाता है. इस बार 31 जनवरी से 4 फरवरी के बीच सोने के भाव के औसत को आधार बनाया गया है. प्री-मैच्योर भुनाने की सुविधा हर छह महीने पर मिलेगी.


बॉन्ड के एवज में 100 ग्राम सोना बेचने पर आनंद को 4,81,300 रुपए मिले. जबकि, उन्होंने 2.6 लाख रुपए निवेश किए थे. इस तरह उन्हें 2,21,300 रुपए का मुनाफा हुआ. यही नहीं, इस निवेश पर सालाना 2.5 फीसदी का ब्याज भी मिलता है. इस एवज में आनंद 32,500 रुपए की कमाई पहले ही कर चुके हैं.

इस तरह उन्हें 2,60,000 रुपए के निवेश पर पांच साल में कुल 2,53,800 रुपए की कमाई हुई. यानी आनंद को करीब 98 फीसदी का शानदार मुनाफा हुआ है.


एसजीबी को आरबीआई के जरिए रीडिम कराने पर मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. इस तरह आनंद को 2,21,300 की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. अगर यह बॉन्ड एक्सचेंज के जरिए बेचा जाता है, तो इससे मिलने वाला रिटर्न पूंजीगत लाभ की श्रेणी आएगा. अगर यह बॉन्ड खरीदने की तारीख से तीन साल पहले बेचा जाता है, तो इससे मिलने वाला रिटर्न शार्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा.
यह आय निवेशक की सालाना में जुड़ेगी जिस पर स्लैब के अनुसार टैक्स बनेगा. अगर यही बॉन्ड तीन साल बाद बेचा जाता है, तो यह रिटर्न लांग टर्म कैपिटल गेन की श्रेणी में आएगा जिस पर 20 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. हालांकि हर साल मिलने वाला ब्याज निवेशक की सालाना आय में जुड़ता है जिस पर उसे अपने स्लैब के आधार पर टैक्स का भुगतान करना होगा.