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जम्मू कश्मीर: श्रीनगर में रोशनी घोटाले के आरोपित पूर्व डिवीजनल कमिश्नर और डिप्टी कमिश्नर को मिली जमानत।

जम्मू कश्मीर: श्रीनगर में रोशनी घोटाले के आरोपित पूर्व डिवीजनल कमिश्नर और डिप्टी कमिश्नर को मिली जमानत।


जम्मू कश्मीर। बहुचर्चित रोशन घोटाले में सीबीआई की श्रीनगर स्थित विशेष अदालत ने कश्मीर के तत्कालीन डिवीजनल कमिश्नर महबूब इकबाल व डिप्टी कमिश्नर एजाज इकबाल की जमानत अर्जी मंजूर कर ली है। कोर्ट ने दोनों को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है। 

वहीं गत दिनों कोर्ट ने इस मामले में कश्मीर के पूर्व डिवीजनल कमिश्नर बशारत अहमद को भी जमानत दी थी। जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान सीबीआई ने भी आरोपितों की जमानत पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं करवाई और कहा कि मामले की जांच के दौरान आरोपितों ने पूरा सहयोग किया है, इसलिए मामले में गिरफ्तारी भी नहीं की गई। लिहाजा अगर आरोपितों को जमानत दी जाती है तो उन्हें एतराज नहीं।

वहीं इस पर अदालत ने आरोपितों को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी। केस के मुताबिक उक्त अधिकारियों की निगरानी में राजस्व विभाग के अधिकारियों ने तत्कालीन रोशनी एक्ट के नियमों का उल्लंघन कर ऐसे व्यक्ति को सरकारी जमीन अलाट की जिसका जमीन पर कब्जा नहीं था। इसके साथ ही जमीन को गलत श्रेणी में दर्शाकर उससे बाजार के दाम से काफी कम दाम में जमीन अलाट कर दी गई।

वहीं दूसरी तरफ़ जांच में खुलासा हुआ कि वर्ष 2007 में शहीद गंज में नरसिंह गढ़ के खसरा नंबर 216, 217 व 218 में सात कनाल सात मरला जमीन थी। यह जमीन सजाद परवेज नामक व्यक्ति को 45 लाख रुपये प्रति कनाल के हिसाब से अलाट की गई। सजाद का जमीन पर कब्जा नहीं था, बल्कि उसके पास केवल पावर ऑफ आटर्नी थी और जमीन अशोक शर्मा व बिपन शर्मा को किराये पर दी गई थी। 

वहीं जांच में पाया गया कि इसमें से एक कनाल चार मरला जमीन रिब्बन डेवलपमेंट एक्ट के तहत आती थी जोकि रोशनी एक्ट के तहत अलाट नहीं हो सकती थी। इसके बावजूद सारी जमीन का मालिकाना अधिकार दिया गया। जांच में यह भी सामने आया कि इसी क्षेत्र में सरकार ने अब्दुल माजिद व एमएल धर को 65 लाख रुपये प्रति कनाल के हिसाब से जमीन का मालिकाना अधिकार दिया।

वहीं यह सारी जमीन व्यवसायिक क्षेत्र में आती थी लेकिन सजाद परवेज ने आवेदन दिया कि वह इसका रिहायशी इस्तेमाल कर रहा है, लिहाजा उससे रिहायशी इलाके के हिसाब से कीमत वसूली जाए। मात्र उसके आवेदन पर कमेटी ने कम दाम में जमीन का मालिकाना अधिकार उसे देकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया। इसी तरह के कुछ अन्य मामलों में भी आरोपितों ने अयोग्य लोगों को रोशनी एक्ट का लाभ दिया और बाजार के दाम से काफी कम दाम में सरकारी जमीन अलाट करके सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया।