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मध्य प्रदेश: हिजाब के संदर्भ में बयान देने के बाद सुर्खियों में रहे इंदर सिंह परमार।

मध्य प्रदेश: हिजाब के संदर्भ में बयान देने के बाद सुर्खियों में रहे इंदर सिंह परमार।


मध्य प्रदेश। सरकार ने व्यवस्था बना रखी है कि किसी भी नीतिगत फैसले की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे या फिर सरकार के प्रवक्ता गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र, लेकिन पिछले कुछ दिनों में मंत्रियों ने सुर्खियों में आने के लिए इस लक्ष्मण रेखा को तोड़ने में गुरेज नहीं किया। ताजा मामला स्कूल शिक्षामंत्री इंदर सिंह परमार से जुड़ा है, जिन्होंने मंगलवार को यह एलान कर दिया कि मध्य प्रदेश के स्कूलों में भी छात्राओं के हिजाब पहनकर आने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। यह एलान उन्होंने तब किया जब कर्नाटक में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के बाद देश भर से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आने लगीं।

वहीं जाहिर है कि इंदर सिंह परमार ने वर्तमान में कर्नाटक से उठे विवाद में नई घोषणा कर मध्य प्रदेश की राजनीति में खुद को चमकाने का प्रयास किया, लेकिन कुछ ही घंटों में उनकी मंशा धराशयी हो गई। उनके इस बयान से बनी तपिश सुबह होते उस समय ठंडी पड़ गई जब सरकार की ओर से गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र ने स्पष्ट किया कि मध्य प्रदेश के स्कूलों में हिजाब या नया ड्रेसकोड लगाने का कोई प्रस्ताव फिलहाल सरकार के पास नहीं आया है।

वहीं मतलब साफ है कि सरकार इंदर सिंह परमार के बयान से असहज महसूस कर रही है। सुबह गृहमंत्री ने सफाई दी तो दोपहर बाद मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की बैठक में इंदर सिंह परमार को नसीहत दी कि नीतिगत विषयों पर तभी बयान दें जब कैबिनेट में उसकी चर्चा हो जाए। इसके साथ ही उन्होंने उन सभी मंत्रियों को संदेश दिया कि कोई भी बयान देते समय सरकार की नीति और परंपरा का ध्यान रखें। 

वहीं दरअसल विवादित बयानों के सहारे सुर्खियां बटोरने का किसी मंत्री का यह पहला प्रयास नहीं है। इससे पहले भी मंत्रियों के तीन अलग-अलग बयानों पर कांग्रेस समेत अनेक संगठन सरकार को घेर चुके हैं। बाद में सरकार को इस पूरे मामले में सफाई देनी पड़ी। हाल ही में गणतंत्र दिवस पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव ने ट्विटर पर विवादित पोस्ट करके बखेड़ा खड़ा कर दिया था।

वहीं उन्होंने लिखा था, गणतंत्र दिवस की परेड में नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे, सरदार वल्लभ भाई पटेल थे, परेड में न तो देश के फर्जी पिताजी थे, न ही देश के फर्जी चाचा थे, न लोहे की महिला थी, न ही कंप्यूटर के आविष्कारक थे। परेड में काशी विश्वनाथ की झांकी थी, सनातन संस्कृति का नजारा था, मेरा देश सही में बदल रहा है।

वहीं इस पोस्ट के बाद कांग्रेस ने सरकार और मंत्री के खिलाफ खासा विरोध दर्ज कराया था। मंत्री को खुद न सिर्फ सफाई देनी पड़ी, बल्कि पोस्ट भी हटानी पड़ी थी। तब सरकार ने खुद को उनके बयान से अलग कर लिया था। इससे पहले कृषि मंत्री कमल पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तुलना जननायक टंट्या मामा से करके उन्हें टंट्या मामा का पुनर्जन्म बता दिया था। इस बयान पर भी सरकार को असहज होना पड़ा था।

वहीं इससे पहले भी खाद्य और आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह द्वारा महिलाओं पर दिए गए आपत्तिजनक बयान पर सरकार को प्रदेश भर में वर्ग विशेष के विरोध का सामना करना पड़ा था। तब इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने बिसाहूलाल को तलब कर न सिर्फ नसीहत दी थी, बल्कि प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी की ओर से माफी मांगकर विरोध को शांत किया था।

वहीं अब स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार मंगलवार को विवादित बयानों की राह पर चल पड़े। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और कैबिनेट के संज्ञान में लाए बिना घोषणा कर दी कि हिजाब स्कूल यूनिफार्म का हिस्सा नहीं है, इसलिए उस पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए। जिसे पहनना है वह इसे अपने घर में पहने। प्रदेश में अगर कोई हिजाब पहनकर स्कूल आता है तो इस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। यह बयान ऐसे समय आया जब मध्य प्रदेश में ड्रेस कोड को लेकर कोई विवाद ही नहीं है। यहां पहले से ही स्कूलों-कालेजों में छात्राओं के लिए सलवार-कुर्ता, शर्ट-स्कर्ट पहनने का नियम लागू है।

वहीं दूसरी तरफ़ इंटरनेट मीडिया पर यह बयान आते ही विवाद शुरू हो गया। कुछ देर बाद ही मंत्री का दूसरा वीडियो सामने आया, जिसमें वे अपने मंतव्य को स्पष्ट करते दिखाई दिए। उन्होंने मध्य प्रदेश में नया ड्रेस कोड लाने की बात कही और साथ ही यह भी कहा कि स्कूलों की यूनिफार्म को लेकर जानबूझकर देश का माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है। भारत की मान्यता है कि जिस परंपरा में लोग विश्वास करते हैं, उसका वह अपने घरों में भी पालन करें। हालांकि इस वीडियो के जरिये भी वे मामले को नहीं संभाल पाए, जिससे कांग्रेस को सीधे सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया।