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नई दिल्ली। सफदरजंग अस्पताल में कबाड़ बनी जांच की मशीनें, वहीं मरीज निजी लैब के हुए भरोसे।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के सफदरजंग अस्पताल में दो सीटी स्कैन मशीन, एमआरआइ मशीन और मैमोग्राफी मशीन लंबे समय से खराब हैं। तीनों मशीनें कबाड़ बन चुकी हैं। इस वजह से अस्पताल में सीटी स्कैन, एमआरआई जांच और स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग प्रभावित है।
वहीं रेडियोलाजी विभाग ने तो लैब के दरवाजे पर यह सूचना चस्पा दिया है कि जब तक नई सीटी स्कैन मशीन नहीं लग जाती, जांच सुविधा प्रभावित रहेगी। ऐसे में ओपीडी में इलाज कराने आने वाले मरीज निजी डायग्नोस्टिक लैब के भरोसे हैं।
वहीं स्थिति यह है कि मरीजों को सीटी स्कैन और एमआरआइ जांच के लिए एक साल बाद की तारीख दी जाती है या फिर डाक्टर उन्हें बाहर निजी लैब में जांच की सलाह देने को मजबूर होते हैं। अस्पताल के डाक्टर ने बाकायदा ट्वीट कर इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से की है। दरअसल, सफदरजंग अस्पताल में पहले 40 और 256 स्लाइस क्षमता की दो सीटी स्कैन मशीनें थीं। कुछ साल पहले नया इमरजेंसी ब्लाक तैयार होने पर एक नई सीटी स्कैन मशीन खरीदी गई थी।
वहीं इसलिए अस्पताल में तीन सीटी स्कैन मशीनें हो गईं। तीनों मशीनें ठीक होने पर एक मशीन से वार्ड में भर्ती मरीजों की जांच, दूसरी मशीन से ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचे मरीजों की जांच और तीसरी मशीन से सिर्फ इमरजेंसी में पहुंचे गंभीर मरीजों की जांच होती थी। फिलहाल पुराने ब्लाक की दोनों सीटी स्कैन मशीन खराब हैं।
वहीं इसमें एक मशीन करीब चार साल, जबकि दूसरी पिछले साल से खराब है। अभी सिर्फ इमरजेंसी वार्ड की लैब में स्थित सीटी स्कैन मशीन चल रही है जिसमें इमरजेंसी वार्ड में पहुंचने वाले मरीजों, आइसीयू में भर्ती मरीजों और वार्ड में भर्ती कैंसर के मरीजों की जांच होती हैं। ओपीडी के मरीजों को जांच के लिए एक साल बाद की तारीख दी जाती है। इतने लंबे समय तक इंतजार करना किसी मरीज के लिए संभव नहीं है।
वहीं मौजूदा समय में सिर्फ एक सीटी स्कैन मशीन चलने के कारण सीटी मशीन के जरिये ट्यूमर का हिस्सा लेकर होने वाली बायोप्सी जांच भी बंद कर दी गई है। अस्पताल में एमआरआइ की दो मशीनें हैं। उनमें से एक मशीन करीब छह माह से खराब है। मैमोग्राफी मशीन भी लंबे समय से खराब है।
वहीं अस्पताल के डाक्टर कहते हैं कि मेक इन इंडिया परियोजना के तहत यह प्रविधान किया गया है कि अस्पतालों में ज्यादातर जांच और चिकित्सीय उपकरण भी देश निर्मित होने चाहिए। ऐसे में नई मशीनों की खरीद में मुश्किलें बढ़ गई हैं। दिक्कत यह है कि अभी देश में 16 स्लाइस क्षमता की सीटी स्कैन मशीनें बन रही हैं।
वहीं जबकि जरूरत इससे अधिक अत्याधुनिक मशीन की होती है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मैमोग्राफी मशीन की लाइफ खत्म हो गई है। नई मशीन खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। अस्पताल में एक सीटी स्कैन और एक एमआरआइ मशीन चालू हालत में है। उन्हीं से मरीजों की जांच की जाती है।