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आज काशी विश्वनाथ को चढ़ेगी शगुन की हल्दी, वसंत पंचमी पर पर हुआ था शुभ तिलक
वाराणसी । काशीपुराधिपति को हल्दी लगने के साथ लग्न की रस्में आज से शुरू हो जाएंगी। महाशिवरात्रि के पूर्व होने वाली लोक परंपराएं 27 फरवरी से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर आरंभ होंगी और बाबा विश्वनाथ की पंचबदन प्रतिमा पर हल्दी तेल अर्पण कर लोकाचार पूर्ण किया जाएगा.
मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान होगा। ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना के गीत मुखर होंगे। रविवार को संध्याबेला में भगवान शिव की प्रतिमा पर महिलाओं द्वारा लोकगीत गाते हुए हल्दी व तेल लगाकर (चढ़ाकर) परंपराओं का निर्वहन करेंगे।
पूर्व वसंत पंचमी पर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ की प्रतिमा के समक्ष तिलकोत्सव की परंपरा का निर्वहन किया गया था। हल्दी की रस्म के लिए गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पर जमा होगी। एक तरफ मंगल गीतों का गान के बीच बाबा को हल्दी लगाई जाएगी।
यह रस्म पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के सानिध्य में होगी। हल्दी के पारंपरिक शिव गीतों में दूल्हे की खूबियों का बखान किया जाएगा। वहीं इन्हीं गीतों के जरिये भूतभावन महादेव को दूल्हन का ख्याल रखने की ताकीद भी दी जाएगी। डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया लोक मान्यताओं के अनुसार जिन लड़कों और लड़कियों के विवाह में अड़चनें आती हैं उनको बाबा को हल्दी अर्पण करने से लाभ मिलता है।