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यूपी : वाराणसी के माटीगांव के शिव मंदिर परिसर में मिला गुप्तकालीन शिवलिंग का अर्घा और कुषाणकालीन ईंट।
वाराणसी। माटीगांव स्थित शिव मंदिर परिसर में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग की टीम द्वारा आज उत्खनन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया। उत्खनन के प्रक्रिया के परिणामस्वरूप आज एक अन्य बृहद्वृत्त आकार का गोलाकार गर्भगृह वाला संरचना पूर्व प्राप्त पंचायतन प्रकार के मंदिर के उत्तरी दिशा में मिला साथ ही एक बृहद आकार का अर्घा प्राप्त हुआ।
वहीं जो कि वर्तमान में अपने पूर्व प्रतिस्थापित स्थल से दूर प्राप्त गर्भगृह के दक्षिणी दीवाल के ओर पश्चिमोन्मुख स्थिति में प्राप्त हुआ है सम्भावना है कि किसी कारण वश मंदिर के विनष्ट होने के परिणामस्वरूप और अरघा अपने यथास्थिति से अन्यत्र पड़ा मिला है।
वहीं आज प्राप्त हुए अरघे का संपूर्ण व्यास 45 सेंटीमीटर तथा आंतरिक व्यास 36 सेंटीमीटर हैअरघे के बीचोबीच एक अंडाकार छिद्र शिवलिंग को प्रतिष्ठापित करने के लिए बना है जिसकी गहराई अधिकतम 10 सेंटीमीटर है अरघे के प्रणाल की लंबाई 18 सेंटीमीटर तथा प्रणाल सहित अरघे ककेई संपूर्ण चौड़ाई लगभग 63 सेंटीमीटर है।
वहीं गोलाकार मंदिर के गर्भगृह का फर्श लगभग 25 सेंटीमीटर ऊंचा है इट से निर्मित संरचना सुरखी चुनें ये प्लास्टर से विनिर्मित है प्राप्त संरचना 10*10 मीटर के ट्रेंज के उत्तरी भाग में प्राप्त हुआ है इस प्रकार प्राप्त मंदिर का क्रमशः उत्तर दक्षिण की ओर बढ़ती हुई मंदिर समूह को दर्शाता है। विदित हो कि आज जो संरचना प्राप्त हुआ है वह पूर्व में प्राप्त सभी संरचनाओं से काफी बड़ा है।
वहीं उत्खनन के निदेशक डॉ विनय कुमार का कहना है कि आज जो संरचना प्राप्त हुई है वह गुप्तकालीन वृत्ताकार मंदिर है। जिसमें प्रयुक्त ईंटे संभवतः कुषाणकालीन है। जिसके ईंटों का परिमाप 30×25×5 सेंटीमीटर है। जिसकी तिथि आज से लगभग 2200 साल वर्ष पूर्व है। उत्खनन का संचालन पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ओंकार नाथ सिंह के देखरेख में चल रहा है। उत्खनन टीम में विभाग के डॉ अभिषेक सिंह, शोधछात्र परमदीप पटेल तथा राघव साहनी शामिल हैं।