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यूपी : आजमगढ़ में एटीएस की टीम पहुंची थी शादी का रिश्ता लेकर, वहीं चकमा देकर फरार हुआ था अबु बशर।
आजमगढ़। अहमदाबाद सीरियल विस्फोट कांड में 13 वर्ष बाद गुनहगार साबित हुआ अबुल बशर ही नहीं, असदुल्लाह अख्तर, मुफ्ती बशर जैसे नाम भी कुख्यात आतंकियों में गिने जाते हैं। असदुल्लाह तो कुख्यात यासीन भटकल संग नेपाल बार्डर से पकड़ा गया था।
वहीं चकमा देने में माहिर अबुल बशर की गिरफ्तारी को एटीएस की टीम रिश्ता करने के बहाने उसके घर पहुंची थी, लेकिन हद दर्जे की गोपनीयता के बावजूद निकल भागा तो लखनऊ में हत्थे चढ़ पाया। उसके बाद खुफिया एजेंसियां जाल बिछाईं तो एक-एक आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे 23 युवा बेनकाब हो पाए थे।
वहीं वर्ष 2007 में आजमगढ़ के सम्मोपुर गांव का हकीम तारिक कासिमी बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर पकड़ा गया था। उसके पास से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद होने एवं उसके पूछताछ में आजमगढ़ निवासी होने पर खुफिया एजेंसियों का शक गहरा गया था। उस समय तारिक कासिमी रानी की सराय में क्लीनिक चलाता था।
वहीं उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के बाद भी खुफिया तंत्र ने इनपुट जुटाने का काम अनवरत जारी रखा था, जो अहमदाबाद विस्फोट के गुनहगारों तक पहुंचने में काम आए थे। वर्ष 2008 में 26 जुलाई को अहमदाबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट के बाद आतंकियों के कनेक्शन आजमगढ़ से जुड़ने लगे थे। एटीएस, इंटेलीजेंस टीम ने खंगाला तो आजमगढ़ के बीनापार, सरायमीर निवासी मुफ्ती अबुल बशर लखनऊ में हत्थे चढ़ा था।
वहीं उसके बाद पुलिस ने अलग-अलग घटनाओं के एक-दूसरे से तार जोड़े तो दो दर्जन युवाओं के चेहरे सामने आए। छानबीन बढ़ी तो आजमगढ़ के तार दिल्ली व अन्य महानगरों में हुए सीरियल धमाकों से जुड़े, फिर बटला कांड में आतिफ अमीन व छोटा साजिद के मारे जाने के बाद जिला सुर्खियों में आ गया था।
वहीं शहर निवासी असदुल्लाह अख्तर भी इंटीग्रल यूनिवर्सिटी से फार्मेसी कर रहा था, जबकि लखनऊ में पकड़ा गया मिनहाज लखनऊ इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में टेक्नीशियन था। इसके अलावा आजमगढ़ का डाक्टर शहनवाज जो बटला एनकाउंटर में पकड़े गए मोहम्मद सैफ का बड़ा भाई है।
वहीं उसे इंडियन मुजाहिदीन का मुख्य सदस्य माना जाता है। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियां अब तक उसे पकड़ नहीं पाईं हैं। एटीएस के निर्देश पर सरायमीर पुलिस ने तो चार आतंकियों की हिस्ट्रीशीट भी खोल रखी है। अबु राशिद, शादिक शेख, जाकिर शेख, आरिफ बदर, खलीलुर्रहमान, अंसार अहमद, डाक्टर शहनवाज, बड़ा साजिद, अबू राशिद, मिर्जा शादाब बेग, मु. खालिद, असदुल्लाह अख्तर, आरिज खान उर्फ जुनैद, मोहम्मद सैफ, शाकिब निसार, जीशान अहमद, आरिफ, मुहम्मद हाकिम, मोहम्मद सरवर, सैफुर्रहमान, शहजाद उर्फ पप्पू, सलमान अहमद, मुफ्ती अबु बशर, हकीम तारिक कासमी। अधिकांश आजमगढ़ शहर, सरायमीर व संजरपुर के निवासी हैं।
वहीं बीते जुलाई माह में लखनऊ में दो आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद खुफिया एजेंसियां, आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) अलर्ट मोड में आ गया था। गिरफ्तार आतंकियों का आजमगढ़ कनेक्शन जानने की कोशिशें शुरू हो गईं हैं। उचित भी कि उस समय तक देश में आतंकी गतिविधियों में लिप्त सिर्फ जिले के करीब दो दर्जन युवाओं के नाम सामने आ चुके थे। बहुतेरों तक तो एटीएस, एनआइए आज तक पहुंच ही नहीं पाई है। इसी बीच प्रदेश में अलकायदा की सक्रियता सामने आने पर अंदरखाने में निगहबानी हद दर्जे पर शुरू हो गई है।