Covid-19
यूपी : अलीगढ़ में कोरोना की टूट रही चेन, वहीं बुखार व एलर्जी की सामान्य दवा से हो रही बाडी रिकवर।
अलीगढ़। कोरोना की दूसरी लहर ने चिकित्सा जगत को भले ही हिलाकर रख दिया हो, लेकिन तीसरी लहर में ऐसा नहीं है। तमाम मरीज तीन से चार दिन में ही ठीक होकर डिस्चार्च हो गए। इस बार न तो हैवी एंटीबायोटिक दी गई और न स्टेरायड। चिकित्सकों ने मौसमी फ्लू की तरह लक्षण के आधार पर कोरोना का उपचार किया। बुखार व एलर्जी की सामान्य दवा से ही बाडी रिकवर हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना टीकाकरण या पूर्व में संक्रमित होने से शरीर में एंटीबाडी बन चुकी है। इसलिए एंटीबायोटिक की ज्यादा जरूरत नहीं है।
वहीं खैर रोड स्थित वृंदा हास्पिटल के निदेशक फिजीशियन डा. अमित वार्ष्णेय ने बताया कि कोरोना की पहली, दूसरी और तीसरी लहर के दौरान लक्षणों में काफी परिवर्तन दिखा। सबसे घातक रही कोरोना की दूसरी लहर में बुखार, खांसी, जुकाम, सांस फूलना, घबराहट जैसे लक्षण सामने आए। तीसरी लहर में 90 फीसद रोगियों को बुखार तक नहीं हुआ। केवल गले में खराश या बदन दर्द महसूस हुआ।
वहीं काफी मरीजों में कोई लक्षण ही नहीं था। दूसरी लहर के दौरान डाक्टरों की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या ट्रीटमेंट दें। इसलिए दिन में तीन-चार बार हैवी एंटीबायोटिक दी गईं। स्टेरायड भी दिए गए, जबकि स्टेरायड केवल आक्सीजन सेचुरेशन कम होने पर ही देने चाहिए थे। इस बार गाइडलाइन स्पष्ट थी।
वहीं मरीजों में हल्के-फुल्के ही लक्षण थे, जिनके आधार पर इलाज किया गया। कुछ मरीजों को ही बुखार की दवा के साथ एजिथ्रोमाइसीन (सामान्य एंटीबायोटिक) व डाक्सीसाइक्लिन दी गई। कुछ मरीजों को एंटी एलर्जिक टेबलेट लिवोस्ट्रिजन से दी गई। तीन-चार दिन में मरीजों को लाभ हो गया।
वहीं डा. अमित के अनुसार, दूसरी लहर में वायरस ने फेफड़ों को बुरी तरह संक्रमित किया, जिससे सैंकड़ों लोगों की मृत्यु हो गई। तीसरी लहर में वायरस ने फेफड़ों को संक्रमित नहीं किया। स्वास्थ्य मंत्रालय के स्पष्ट निर्देश थे कि मरीज बिना डाक्टरी परामर्श के सीटी स्कैन न कराएं। हमारे यहां आए ज्यादार मरीजों को लक्षण के आधार पर सीधे दवा दी गई।
वहीं सीटी स्कैन कराने की आवश्यकता नहीं पड़ी। फिर भी लोगों को सलाह है कि वायरस लेकर अभी ये स्पष्ट नहीं है कि यदि पुनः नई लहर आई तो वह कितनी घातक होगी और कैसे मानव शरीर पर असर डालेगी। इसलिए वायरस से बचाव के लिए सावधानी बरतते रहें।