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यूपी: वाराणसी में यूनेस्‍को के क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में बतौर सिटी आफ म्‍यूजिक ने स्‍वर कोकिला लता मंगेशकर को दी श्रद्धांजलि।

यूपी: वाराणसी में यूनेस्‍को के क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में बतौर सिटी आफ म्‍यूजिक ने स्‍वर कोकिला लता मंगेशकर को दी श्रद्धांजलि।

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वाराणसी। यूनेस्‍को के क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में बतौर सिटी आफ म्‍यूजिक के तौर पर शामिल वाराणसी शहर में भारत रत्‍न लता मंगेशकर को श्रद्धांंजलि अर्पित की। भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन पर नमामि गंगे के सदस्यों ने संयोजक राजेश शुक्ला के नेतृत्व में पांच नदियों के संगम पंचगंगा घाट पर हाथों में गंगा जल लेकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान गहरा शोक जताया और श्रद्धा सुमन अर्पित कर मां गंगा से स्वर कोकिला के लिए मोक्ष की कामना की।

वहीं संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि भारत रत्न लता जी ने 36 भारतीय भाषाओं में अपने स्वर को दिया है। हजारों हिन्दी गीतों को आवाज देने वाली लता दीदी को 1989 मे दादा साहेब फाल्के पुरस्कार तथा 2001 मे भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया था। लता जी के निधन से भारतीय संगीत के एक युग का अन्त हो गया। कहा कि लता जी भारत ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व की संस्कृति और साहित्य कला के जननी के रूप में स्थापित थी। अतुल्यनीय देशप्रेम, मधुर वाणी और शौमयता से वो सदैव हमारे बीच रहेंगी।

वहीं बाबा विश्वनाथ जी और मां गंगा से प्रार्थना है कि आपकी आत्मा को मोक्ष व शिव सायुज्य प्राप्त हो । श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में प्रमुख रूप से नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला, महानगर सहसंयोजक शिवम अग्रहरी, महानगर सहसंयोजक रामप्रकाश जायसवाल, सीमा चौधरी, सत्यम जायसवाल मौजूद रहे ।

वहीं दूसरी तरफ भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन से सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय परिवार मे शोक की लहर दौड़ गई है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों व कर्मियों ने शोक संवेदना व्यक्त की। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी ने कहा कि आज भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में मुम्बई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया, निधन की सूचना से स्तब्ध और मर्माहत हूं। 

वहीं कुलपति प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि भारत रत्न लताजी ने 36 भारतीय भाषाओं में अपने स्वर को दिया है,1000 से अधिक हिन्दी गीतों को आवाज देने वाली लता दीदी को 1989 मे दादा साहेब फाल्के पुरस्कार तथा 2001 मे भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया था। उनके निधन से भारतीय संगीत के एक युग का अन्त हो गया। भारतीय संस्कृति और साहित्य कला के जननी के रूप में स्थापित थी। 

वहीं बाबा विश्वनाथ उनकी आत्मा को शिव सायुज्य प्रदान करें। उनके निधन से भारतीय संगीत जगत को अपूरणीय क्षति हुई है, जिसकी निकट भविष्य में भरपाई संभव नहीं है। शोक व्यक्त करने वालों विश्वविद्यालय परिवार सहित निदेशक प्रकाशन डॉ. पद्माकर मिश्र, प्रो. रमेश प्रसाद, जनसम्पर्क अधिकारी शशींद्र मिश्र आदि प्रमुख थे।