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यूपी: वाराणसी में वसंत पंचमी पर लगाई पुण्य की डुबकी, वहीं बाबा दरबार सहित घाटों पर उमड़ी आस्‍था।

यूपी: वाराणसी में वसंत पंचमी पर लगाई पुण्य की डुबकी, वहीं बाबा दरबार सहित घाटों पर उमड़ी आस्‍था।

                          Vinit Jaiswal City Reporter

वाराणसी। सनातन धर्म में माघ शुक्ल पंचमी यानी वसंत पंचमी पर स्नान दान के लिए दशाश्वमेध समेत गंगा के घाटों पर श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा। इसमें स्थानीयजनों के साथ ही आसपास के जिलों से भी लोगों की जुटान हुई तो प्रयागराज संगम में डुबकी लगा कर भी स्नानार्थी काशी आए। इससे गंगा घाटों की ओर जाने वाले रास्तों पर खूब भीड़ रही। इसमें बुजुर्गों के साथ ही युवाओं की भी बड़ी संख्या रही। वहीं स्‍नान के बाद बाबा दरबार में भी आस्‍था व्‍यक्‍त करने के लिए कदमों ने रुख किया। 

वहीं वास्तव में सनातन धर्म में वैशाख, कार्तिक व माघ मास स्नान के लिए प्रमुख माने जाते हैं। इनमें माघ का विशेष मान है। माघी स्नान का आरंभ परंपरानुसार 17 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर हुआ। मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने मौन रख कर स्नान दान किया तो मास के प्रमुख स्नान पर्व पर पुण्य की डुबकी के लिए भोर से ही स्नानार्थी उमड़ पड़े। 

वहीं दशाश्वमेध, अस्सी, पंचगंगा, प्रयाग समेत विभिन्न घाटों पर स्नान के विधान पूरे किए गए। भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य समर्पित किया। घाट चौकियों पर पुरोहितों से तिलक-त्रिपुंड लगवाया। तिल, कंबल समेत उष्णता प्रदायक वस्तुओं का दान किया। जल पूरित कलश या पात्र लेकर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की ओर बढ़ चले। इससे दशाश्वमेध से लेकर गोदौलिया, बांसफाटक व ज्ञानवापी मोड़ तक कतार लगी रही। 

वहीं बाबा का विधि विधान से दर्शन पूजन और दूध जल से अभिषेक के साथ ही लोगों ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के नव्य भव्य परिसर का अवलोकन किया। मुख्य परिसर के साथ ही मंदिर चौक तक छटा निहारी व अभिभूत हो उठे। माघी स्नान का समापन 16 फरवरी को माघ मास की पूर्णिमा पर होगा।

वहीं दूसरी तरफ़ पोथी-पत्रा व पंचांग गणना के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी शनिवार सुबह 6.43 बजे लगी जो रविवार को सुबह 6.45 बजे तक रहेगी। हालांकि लोगों ने परंपरा पर विश्वास जताया और भोर से वसंत पंचमी के स्नान के विधान शुरू हो गए। वहीं कुछ लोगों ने पंचमी तिथि लगने का इंतजार किया।