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यूपी: वाराणसी में आरोप के बीच हाइटेक हो रही ईवीएम, जानिए ईवीएम के महत्‍वपूर्ण हिस्‍सों की विशेषता।

यूपी: वाराणसी में आरोप के बीच हाइटेक हो रही ईवीएम, जानिए ईवीएम के महत्‍वपूर्ण हिस्‍सों की विशेषता।


वाराणसी। लोकतंत्र में चुनाव एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। समय के साथ बहुत कुछ बदलाव हुआ। नई तकनीक सन्देह के घेरे में सदैव रहती है लेकिन अब इसे आत्मसात करने से पीछे भी नहीं जाया जा सकता है। जैसे जैसे सन्देह बढ़े वैसे वैसे तकनीक परिपक्व होती गई। बात ईवीएम की है। हर चुनाव के बाद एक आरोप जरूर लगाया जाता है कि ईवीएम की गड़बड़ी से हुआ लेकिन इस तरह के आरोप के पीछे कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए जाते हैं। इन आरोपो के बीच ईवीएम और नई तकनीक से लैस होती गई।

वहीं बात ईवीएम करें तो इसमे दो महत्वपूर्ण चीजें होती है, जिसे सीयू यानी कंट्रोल यूनिट व दूसरी बीयू यानी बैलेट यूनिट कहते है। सीयू ही ईवीएम का मास्टर यूनिट होता है। जो वोट के रिकार्ड को स्टोर करता है। इसमे डिस्प्ले सेक्शन, बैटरी पैक सेक्शन, केंडिडेट सेट सेक्शन, रिजल्ट सेक्शन व बैलेट सेक्शन होता है।

वहीं बीयू यानी बैलेट यूनिट एक ऐसी इकाई है जिसमे मतदाता अपने वोट के अधिकार का इस्तेमाल करता है। इसमे इंटर कनेक्टिव केबल पांच मीटर का होता है। साथ बैलेट पेपर लगाने की व्यवस्था रहती है, इस पर केंडिडेट का नाम, चुनाव चिह्न अंकित होता है। इसमे पावर पैक लगाने की व्यवस्था के संग 16 बटन होते है। इसके अलावा रेडी लैंप व थंब स्विच बटन होता है। 

वहीं इन 16 बटन के सामने केंडिडेट के नाम अंकित रहते है। आप इसे दबाते हैं तो बीप..की आवाज आती है। आप जैसे ही बटन दबाते हैं समय और तिथि भी अंकित होता है। इसमे आटोमेटेड सेल्फ डायग्नोस्टिक रियल टाइम क्लॉक होते हैं। इस पर किसी भी रेडियो फ्रिक्वेंसी, वायरलेस ट्रांसमिशन का जादू नहीं चल सकता है।

वहीं अब ईवीएम में इस कदर बदलाव हो चुका है कि एक कंट्रोल यूनिट के साथ 24 बैलेट यूनिट जोड़े जा सकते हैं। मतलब अगर किसी विधानसभा में 384 केंडिडेट मैदान में हैं तो भी मतदान के दिन कोई जहमत नही उठानी होगी सिर्फ बैलेट यूनिट की संख्या बढ़ जाएगी। कंट्रोल यूनिट सिर्फ एक होगा। इसे एम-3 जनरेशन की ईवीएम नाम दिया गया है।

वहीं राजनीतिक दल चुनाव में हारने के बाद भले ही तमाम आरोप लगा दें लेकिन ईवीएम आज इतना माडर्न हो चुकी है कि आरोप सतही साबित हो जाते हैं। ईवीएम से जुड़े एक जानकार नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि ईवीएम पर दोष भले लगे लेकिन इसमे गडबड़ी साबित करना बस की बात नहीं लेकिन इससे भी इंकार नहीं करते कि नई तकनीक में सँभावना का अंत नहीं...। अब आशय जो भी निकाला जाए लेकिन ईवीएम तमाम झंझावतों को झेल अपने तीसरी पीढ़ी में दस्तक दे चुकी है।