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यूपी : वाराणसी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में कार्यशाला में विशेषज्ञ ने कहा कि पेटेंट में भारत की भागीदारी महज दस फीसद।
वाराणसी। वाणिज्य व प्रबंधशास्त्र संकाय में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में शुक्रवार को आयोजित रिसर्च मैथोलाजी विषयक सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, (बिलासपुर) के कुलपति प्रो. आलोक चक्रवाल ने कहा कि अनुसंधान में शोधार्थियों को सामाजिक, आर्थिक एवं ज्लवंत ज्वलंत मुद्दों को शामिल करना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों में चीन ने 582000 पेटेंट कराया। जबकि भारत की भागीदारी मात्र दस प्रतिशत रही। अनुसंधान का उद्देश्य केवल उपाधि प्राप्त करना नहीं अपितु देश की आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति में योगदान भी होना चाहिए।
वहीं विशिष्ट अतिथि प्रबंध अध्ययन संकाय, बीएचयू के प्रमुख प्रो. एच.पी. माथुर ने कहा कि अनुसंधान सत्य की खोज है। हमें बस सत्य को खोजना है एवं इसका निर्धारण केवल सही अनुसंधान प्रविधि के द्वारा ही सम्भव है। एक अनुसंधान समस्या की खोज एवं उसके निराकरण की बात करता है। एक शोधार्थी को ट्रेंड सेंटर होना चाहिए ना कि टेऊंड फालोवर। इस मौके पर अतिथियों ने पत्रिका का भी विमोचन किया।
वहीं अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करना एक व्यक्ति का अधिकार है। परन्तु शोध में भाषा गौण तथा ज्ञान प्राथमिक हो जाता है। शोध का प्रमुख उद्देश्य समयबद्ध तरीके से सुंदर व अर्थयुक्त जीवन-यापन करना है। इस दिशा में यह कार्यशाला शोधार्थियों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। स्वागत प्रवर्तन विभागाध्यक्ष, वाणिज्य विभाग प्रो. केएस जायसवाल, संचालन आयुष कुमार व धन्यवाद ज्ञापन प्रो. धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अजीत कुमार शुक्ल ने किया।
वहीं इस दौरान तकनीकी सत्र में वक्ताओं ने शोध के विभिन्न आयामों के विषय में बताया साथ ही शोध के दौरान आने वाली विभिन्न कठिनाइयों के विषय में चर्चा की। कहा कि अनुसंधान अर्थपूर्ण एवं समाज के लिए उपयोगी होना चाहिए। अनुसंधान वैज्ञानिक अन्वेषण की एक कला है। अनुसंधान के द्वारा ही एक शोधार्थी को पहचान एवं प्रसिद्धि दोनो प्राप्त हो सकती है।