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यूपी: वाराणसी में वैक्सीन बनाने से लेकर पैकिंग तक का लगा रखा था कारखाना, मशीनें भी जब्त कर ली गईं।

यूपी: वाराणसी में वैक्सीन बनाने से लेकर पैकिंग तक का लगा रखा था कारखाना, मशीनें भी जब्त कर ली गईं।

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वाराणसी। नकली वैक्सीन व इंजेक्शन बनाने का भंडाफोड़ होने के बाद सामने आया कि मकान में कारखाने का पूरा सेटअप तैयार किया गया था। इसमें नकली वैक्सीन बनाने के साथ ही किट तैयार करने की भी मशीनें थीं। पैकिंग के लिए आरोपितों ने इसमें काम आने वाली समस्त मशीनें लगा रखी थीं। 

वहीं उनके यहां से फीलिंग, प्रेस, ढक्क्न, डिब्बा, किट पैकिंग मशीन भी मिलीं। यहीं से सारा कार्य किया जा रहा था। एसटीएफ, आइबी व औषधि नियंत्रण विभाग पड़ताल कर रहा है कि मशीनें कहां से खरीदी गईं। इसके लिए किन कंपनियों के कागजात पेश किए गए आदि की भी पड़ताल की जाएगी। 

वहीं इसकी जानकारी वाणिज्य विभाग को भी दी जाएगी। ड्रग लाइसेंस अथारिटी के सहायक औषधि आयुक्त केजी गुप्ता ने बताया कि नकली वैक्सीन व इंजेक्शन बनाने व उन्होंने बताया कि अभी मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। आरोपितों के यहां से सभी मशीनें भी जब्त कर ली गईं है।

वहीं वैश्विक महामारी कोरोना की पहली व दूसरी लहर में दुनिया परेशान हो गई थी। दूसरी लहर में तो अचानक ही हाहाकार मच गया था। जिसकी भी तबियत अधिक खराब हुई और अस्पताल में भर्ती हुआ वे रेमडेसिविर इंजेक्शन जरूर लगवाया। पिछले साल यहां के कई अस्पताल, क्लीनिक, मेडिकल स्टोर वालों ने 15 से 20 हजार रुपये में यह वायल ब्लैक में बेचा, जबिक इसकी कीमत 3600 से 4200 रुपये तक ही थी। एक मरीज को छह इंजेक्शन लगाया जा रहा था।

वहीं जिला प्रशासन, पुलिस व इनकम टैक्स विभाग ने संयुक्त रूप से कई पर कार्रवाई की थी। इस साल भी ये आरोपित आपदा को अवसर बनाकर नकली इंजेक्शन खपाने की फिराक में थे। कोरोना की दूसरी लहर में 82 हजार से अधिक लोग संक्रमित हुए थे। इसमें से पांच प्रतिशत से अधिक लोगों की गंभीर स्थिति थी। महज 20 दिन में ही हाहाकार मचाने वाले दूसरी लहर में लोग रेमडेसिविर के लिए पैरवी भी लगाए थे। लोग महंगे दाम भी यह इंजेक्शन खरीदे थे। 

वहीं यह स्थिति अफवाह फैलने के कारण पैदा हुई थी। अन्यथा इस इंजेक्शन की हर किसी को जरूरत भी नहीं थी। जिन्होंने इंजेक्शन लगवाए उनके साइड इफेक्ट भी देखे गए। कोरोना की तीसरी लहर में अभी तक करीब 11 हजार लोग संक्रमित हुए। हालांकि ना के बराबर लोगों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी। वहीं आपदा के असुर इस ताक में थे कि इस बार भी हाहाकार मचे और वे नकली रेमडेसिविर की खपा सके, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसकारण आरोपपतितों ने दूसरे राज्यों की ओर रूख किए।