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यूपी: लखनऊ में प्लाट खरीद रहे हैं तो पहले करें पड़ताल, वहीं चल रहा जमीन फर्जीवाड़ा का बड़ा खेल।
लखनऊ। आशियाना बनाने के लिए जमीन खरीद रहे हैं तो सावधान हो जाइए। लेखपाल और प्रापर्टी डीलर की ठगी का शिकार हो सकते हैं। प्रापर्टी डीलर अपनी जमीन को बेचकर रजिस्ट्री कर रहा है, जबकि कब्जा नगर निगम की जमीन पर दे रहा है। औरंगाबाद खालसा के बाद अमराई गांव में ऐसा ही मामला पकड़ा गया है। इंदिरानगर के अमराई गांव में नगर निगम की जमीन पर हुए निर्माणों को बुधवार को जमींदोज कर दिया गया।
वहीं प्रापर्टी डीलर ने किसी अन्य खसरा नंबर पर जमीन बेचकर उसकी रजिस्ट्री की थी लेकिन कब्जा नगर निगम की जमीन पर दे दिया था। इस मामले में नगर निगम के क्षेत्रीय लेखपाल सुशील की भूमिका जांच के घेरे में हैं, जिसने अवैध निर्माणों पर चुप्पी साधे रखा। प्रारम्भिक जांच में पता चला कि पूर्व में दो अवैध निर्माणों को तोड़ा गया था लेकिन प्रापर्टी डीलर की मिलीभगत से लेखपाल ने शेष कब्जों पर कोर्ई कार्रवाई नहीं की थी और नोटिस देकर बैठ गया था।
वहीं नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने लेखपाल सुशील की भूमिका की जांच के आदेश देते हुए उसे कारण बताओ नोटिस जारी की है। इसी के साथ ही नगर निगम की जमीन बेचने वाले प्रापर्टी डीलर सुभाष गौतम के साथ ही अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं। तोडफ़ोड़ में खर्च हुई रकम की वसूली भी प्रापर्टी डीलर से की जाएगी।
वहीं दूसरी तरफ़ नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि अमराई गांव की खसरा नंबर 1225 (क्षेत्रफल हेक्टेयर 1.226) और खसरा नंबर 1226 (क्षेत्रफल 0.063 हेक्टेयर) नवीन परती में दर्ज है और जमीन नगर निगम की है। इस जमीन पर बारह जगह दीवार से घेराबंदी कर कब्जा करने के साथ ही तीन भवन का निर्माण किया गया था। अवैध निर्माण करने वालों को पांच जून 2020 में नोटिस दी गई और कुछ चारदीवारी को भी तोड़ा गया था। एक फरवरी को फिर से नोटिस जारी की गई थी और बुधवार को उन्हें तोड़ दिया गया।
वहीं नगर निगम संपत्ति विभाग की मिलीभगत से जमा पूंजी से मकान बनवाने वाले बुधवार को लुटे से नजर आए। शांति देवी और कपूर चंद्र ने जमीन को खरीदा था। प्रापर्टी डीलर ने खसरा नंबर 1227 और 1228 की भूमि को बेचा था और रजिस्ट्री भी इसी नंबर पर की गई थी लेकिन प्रापर्टी डीलर ने कब्जा नगर निगम की भूमि (खसरा नंबर 1225) पर दिया गया था। वहां नगर निगम के लेखपाल ने मिलीभगत से वहां निर्माण हो गया।
वहीं प्रापर्टी डीलर प्लाटिंग तो कर रहा था लेकिन वहां कोई विकास नहीं कराया था। नगर आयुक्त ने बताया कि वहां पर कोई आंतरिक विकास नहीं किया गया था। सड़क नाली, सीवर, पेयजल लाइन का कोई इंतजाम किए बिना ही भूखंड बेचे जा रहे हैं। नगर निगम ने प्लाटिंग करने वालों को आंतरिक विकास कार्य कराने पर होने वाले पांच करोड़ रुपये देने की नोटिस जारी की है।