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यूपी : वाराणसी के अवैध अस्पतालों के मामले में सीएमओ ने कहा कि अगर कराए उपचार तो आप खुद होंगे जिम्मेदार।

यूपी : वाराणसी के अवैध अस्पतालों के मामले में सीएमओ ने कहा कि अगर कराए उपचार तो आप खुद होंगे जिम्मेदार।

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वाराणसी। जिले में अवैध रूप से संचालित नर्सिंग होम, पैथोलाजी सेंटर पर जिला प्रशासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसके लिए पंजीकृत चिकित्सा प्रतिष्ठानों की सूची तैयार की गई है। जिलाधिकारी के निर्देश पर इस सूची को पोर्टल पर भी अपलोड करने की भी तैयारी है। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने लोगों से अपील की है कि वे राजकीय चिकित्सालयों या पंजीकृत चिकित्सा प्रतिष्ठानों में ही अपना उपचार कराए ताकि उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सके।

वहीं जिलाधिकारी ने चेतावनी भी दी है कि यदि कोई चिकित्सा प्रतिष्ठान बगैर पंजीकरण के उपचार करता हुआ पाया जाएगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने बताया कि लोगों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा पंजीकृत व योग्य चिकित्सकों से मिले इसके लिए पंजीकृत चिकित्सा प्रतिष्ठानों की सूची तैयार की गई है। इस सूची को varanasi.nic.in पोर्टल पर भी अपलोड किया जा रहा है। इसमें पंजीकृत चिकित्सा प्रतिष्ठानों का पूरा विवरण उनके क्षेत्र व नाम के साथ देखा जा सकता है।

वहीं उन्होंने बताया कि जिले में कुल 563 चिकित्सा प्रतिष्ठान पंजीकृत है। इनमें शहरी क्षेत्र में 414 व ग्रामीण क्षेत्र में 159 चिकित्सा प्रतिष्ठान शामिल है। पंजीकृत चिकित्सा प्रतिष्ठानों में कल्सटेंशन चैंबर 27, डे-केयर-1, डेंटल यूनिट-6, डायग्नेस्टिक क्लीनिक-17, आई केयर सेंटर-2, फर्टीलिटी बैंक-1, हास्पिटल-240, आइवीएफ सेंटर- 1, मैटर्निटीहोम-12, मेडिकल क्लीनिक-98, मदर व चाइल्ड हास्पिटल-1, नर्सिंग होम-42, पैथालाजी लैब-85, पालीक्लीनिक-1, प्रैक्टीसिंग मेडिसिन एण्ड आफरिंग मेडिकल एण्ड हेल्थ केयर सर्विस-2, प्रैक्टीसिंग मेडिसिन-1 व प्राइवेट प्रैक्टीशनर-24 है।

बता दें कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि वैसे तो सरकारी चिकित्सालयों में चिकित्सा की निशुल्क व्यवस्था है। बावजूद इसके यदि कोई व्यक्ति निजी चिकित्सालय में अपना उपचार अथवा जांच कराना चाहता है तो उसे इसके लिए पंजीकृत चिकित्सा प्रतिष्ठानों में ही जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उपचार कराने के लिए जाने से पहले सभी को यह देखना चाहिए।

बता दें कि वहीं जहां उपचार कराने जा रहे है वह पंजीकृत है या नहीं। चिकित्सा प्रतिष्ठान यदि पंजीकृत नहीं है तो वहां उपचार कराने से बचना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति किसी अपंजीकृत चिकित्सा संस्थान में अपना इलाज कराता है तो किसी प्रकार की अनहोनी होने पर शासन प्रशासन जिम्मेदार नहीं होगा।