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यूपी: वाराणसी संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में सेना ने मध्यमा स्तर के सर्टिफिकेट को भी योग्यता सूची से किया बाहर।

यूपी: वाराणसी संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में सेना ने मध्यमा स्तर के सर्टिफिकेट को भी योग्यता सूची से किया बाहर।

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वाराणसी। भारतीय सेना संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री व सर्टिफिकेट को लेकर भ्रम में हैं। धर्म गुरु पद के लिए विश्वविद्यालय की शास्त्री की डिग्री स्नातक के समकक्ष नहीं मान रही है। वहीं यूपी संस्कृत बोर्ड के मध्यमा स्तर सर्टिफिकेट का भारतीय सेना वैध मान रही है। जबकि विश्वविद्यालय द्वारा जारी पूर्व मध्यमा (हाईस्कूल) व इंटर मध्यमा (इंटर) के सर्टिफिकेट को लेकर योग्यता सूची से बाहर कर दिया है।

वहीं सेना भर्ती महानिदेशालय बी (ए) की ओर जारी योग्यता निर्धारण की सूची में बेंगलुरु, चेन्नई, दानापुर, जबलपुर, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, पुणे, शिलांग, नेपाल, दिल्ली सहित अन्य जोनों में माध्यमिक विद्यालयों बोर्डों के नाम हैं। बोर्डों की सूची में भी संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का नाम गायब हैं। कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश संस्कृत बोर्ड गठित होने के बाद सूबे के बाहर विश्वविद्यालय अब भी मध्यमा स्तर की परीक्षा कराता है। 

वहीं इसे लेकर विश्वविद्यालय के छात्रों में जबर्दस्त रोष है। इस संबंध में छात्रों ने शुक्रवार को वाग्देवी मंदिर परिसर में धर्म शिक्षक अभ्यर्थियों की बैठक भी बुलाई थी। इसमें डिग्री की वैधता को लेकर एक जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है। एक माह बाद भी सेना द्वारा डिग्री वैध न मानने में मार्च में व्यापक आंदोलन करने का एलान किया। संचालन छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष शिवम शुक्ला ने किया। बैठक में पूर्व महामंत्री देव नारायण पांडेय, अरविंद कटारे, रवि दीक्षित, शिवम द्विवेदी, सत्येंद्र तिवारी सहित अन्य लोग शामिल थे।