Headlines
Loading...
यूपी : वाराणसी आइआइटी-बीएचयू को पूर्व छात्र और डायमंड एक्सप्रेस कार वॉश इंक के संस्थापक नरेश जैन ने दिया पांच करोड़ रुपये का दान।

यूपी : वाराणसी आइआइटी-बीएचयू को पूर्व छात्र और डायमंड एक्सप्रेस कार वॉश इंक के संस्थापक नरेश जैन ने दिया पांच करोड़ रुपये का दान।


वाराणसी। आइआइटी बीएचयू को पूर्व छात्रों से मिल रहे सहयोग के क्रम में एक और पूर्व छात्र नरेश सी जैन से पांच करोड़ रुपये का दान किया है। नरेश सी जैन 1967 बैच के स्नातक हैं। वह डायमंड एक्सप्रेस कार वॉश इंक. के संस्थाप हैं। उन्होंने यहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया था। इससे संस्थान में नए स्कूल आफ डिसीजन साइंसेज एंड इंजीनियरिंग का बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा। 

वहीं इसका नाम नरेश सी. जैन स्कूल आफ डिसीजन साइंसेज एंड इंजीनियरिंग होगा। यह स्कूल मास्टर आफ टेक्नोलाजी (डिसीजन साइंसेज एंड इंजीनियरिंग) और पीएचडी पाठ्यक्रम का संचालन करेगा। जैन ने यह दान आइआइटी (बीएचयू) फाउंडेशन के माध्यम से दिया है। वह स्वयं फाउंडेशन के चेयरमैन भी हैं। आइआइटी (बीएचयू) फाउंडेशन,एक यूएस बेस्ड आल वॉलंटियर, आइआइटी (बीएचयू) के पूर्व छात्रों की एक गैर-लाभकारी संस्था है।

वहीं दूसरी तरफ़ यह स्कूल व्यावहारिक शिक्षा और अनुप्रयुक्त अनुसंधान पर जोर देने के साथ डिसीजन विज्ञान और इंजीनियरिंग में अनुसंधान क्षेत्रों पर फोकस करेगा। तार्किक और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, विनिर्माण प्रणाली इंजीनियरिंग, हेल्थकेयर सिस्टम प्रबंधन और कृषि व्यवसाय प्रबंधन में प्रशिक्षण देगा। यह नया स्कूल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित करने, अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना सहित डिसीजन विज्ञान और इंजीनियरिंग के प्रौद्योगिकी और प्रबंधन के क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान में संलग्न होने के अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के समीप होगा।

वहीं दूसरी तरफ़ नरेश सी जैन कहते हैं कि मुझे आइआइटी (बीएचयू) में मिली शिक्षा से बेहतर कोई शिक्षा नहीं मिल सकती थी, जिसे बनारस इंजीनियरिंग कालेज (बेंको) कहा जाता था। मैंने 1967 में अमेरिका जाने से पूर्व मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक प्राप्त किया और कॉर्नेल विश्वविद्यालय में प्रतिष्ठित मास्टर कार्यक्रम में प्रवेश लिया। मैं भाग्यशाली था कि मुझे बेन्को में पूरी छात्रवृत्ति मिली जिसमें ट्यूशन फीस, कमरा और भोजन शामिल था। 

वहीं मैं भारतीय करदाताओं का ऋणी हूं, जिन्होंने मेरी शिक्षा के लिए भुगतान किया। अब मैं अपनी मातृ संस्था को अपना कर्ज चुकाने के लिए कृतज्ञ महसूस कर रहा हूं। मुझे विश्वास है कि हम डिसीजन विज्ञान और इंजीनियरिंग स्कूल के लिए अपने मिशन को प्राप्त करेंगे, जिसको प्रोफेशनल सत्यनिष्ठा और मूल्यों के साथ उत्कृष्ट निर्णय निर्माताओं के निर्माण में एक वैश्विक अगुआ बनना है और समाज की प्रगति में योगदान देंगे। 

बता दें कि वहीं आइआइटी (बीएचयू) फाउंडेशन के अध्यक्ष अरुण त्रिपाठी ने कहा कि नरेश जैन लंबे समय से आइआइटी (बीएचयू) के समर्थक रहे हैं और वे वेस्टर्न यूनियन के माध्यम से संस्थान में जरूरतमंद छात्रों को फंड भेजते थे, जब आइआइटी (बीएचयू) फाउंडेशन बना नहीं था। हमने इस नए स्कूल के बुनियादी ढांचे के लिए आवश्यक धनराशि का आधा हिस्सा हासिल कर लिया है। 

वहीं वह न केवल अपनी मातृ संस्था के प्रति वफादारी और समर्थन का प्रदर्शन कर रहे हैं, बल्कि इस नए स्कूल के मिशन और विजन में एक सच्चा विश्वास और भविष्य के लीडर की मदद करने के लिए यह सब कुछ करेंगे। वहीं आइआइटी (बीएचयू) के निदेशक आचार्य प्रमोद कुमार जैन और बोर्ड आफ गवर्नर्स ने आभार व्यक्त किया। कहा कि नरेश सी. जैन स्कूल ऑफ डिसीजन साइंसेज एंड इंजीनियरिंग एक लंबा सफर तय करेगा।

वहीं जो इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के छात्रों को भविष्य की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए तैयार करने की दिशा में काम करेगा जो कि अक्सर अध्ययन के समय ज्ञात नहीं होता है और यह स्कूल समाज के विकास, समृद्धि और प्रसन्नता में योगदान देगा। नरेश जैन ने 1969 में अपनी शिक्षा के लिए धन जुटाने हेतु नासा के मून रोवर के लिए सेंसर आर्म्स पर काम और इसे योजनाबद्ध किया। 

वहीं 1982 से 1988 तक वे हार्ट मार्क्स कार्पोरेशन के इवीपी और बाद में 1996 तक पिंकस ब्रदर्स, इंक. केइवीपी थे । 1999 में, उन्होंने डायमंड एक्सप्रेस कार वाश को स्थापित किया जो कार वाश का एक समूह है और आज भी संचालित है। नरेश जैन ने वंचितों के लिए 2011 में, उन्होंने नरेश सी. जैन स्कालरशिप फंड की स्थापना की, जो एक वर्ष में आइआइटी के 24 छात्रों का शिक्षा शुल्क वहन करता है।